कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के हालिया बयान ने पार्टी के भीतर सियासी हलचल पैदा कर दी है। पार्टी के कई नेताओं ने उनके वक्तव्य पर नाराजगी जताई है और सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान भी इस बयान से असंतुष्ट है। शीर्ष नेतृत्व से लेकर आम कार्यकर्ताओं तक उनके हालिया विचारों को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी आलाकमान का मानना है कि वरिष्ठ नेताओं को, जिन्हें पार्टी ने लंबे समय तक समर्थन और पद दिए हैं, बयान देते समय अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। लगातार ऐसे विवादित बयान देना पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

चिदंबरम का बयान
हिमाचल प्रदेश के कसौली में एक कार्यक्रम के दौरान चिदंबरम ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार का तरीका गलत था और इसकी कीमत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी जान देकर चुकाई। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आतंकियों को पकड़ने के अन्य तरीके हो सकते थे, लेकिन सेना और खुफिया एजेंसियों द्वारा लिया गया यह निर्णय एक गलती साबित हुआ।

सियासी प्रतिक्रिया
चिदंबरम के बयान पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह भाषण भाजपा और प्रधानमंत्री की भाषा जैसा प्रतीत होता है। अल्वी ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार सही या गलत था, यह अलग मामला है, लेकिन 50 साल बाद इंदिरा गांधी पर टिप्पणी करना पार्टी की साख के लिए सही नहीं है। उन्होंने कहा कि चिदंबरम वही कर रहे हैं जो भाजपा और प्रधानमंत्री कर रहे हैं।

ऑपरेशन ब्लू स्टार का संक्षिप्त इतिहास
ऑपरेशन ब्लू स्टार जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में चलाया गया सैन्य अभियान था। इसका उद्देश्य खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उनके समर्थकों को हटाना था, जो हथियारबंद होकर स्वर्ण मंदिर में छिपे हुए थे और खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा दे रहे थे। यह अभियान 1 से 10 जून 1984 तक चला। उसी साल 31 अक्टूबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी।