कांग्रेस ने शुक्रवार को देश में एक साथ चुनाव कराने के विचार का कड़ा विरोध किया और कहा कि यह संघवाद की गारंटी और संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ है। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की पार्टी ने भी मांग की कि इस विचार को छोड़ दिया जाए और इस संबंध में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति को भंग कर दिया जाए। एक राष्ट्र, एक चुनाव पर समिति के सचिव को लिखे पत्र में, उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, जो पैनल के प्रमुख हैं, से अनुरोध किया कि वे केंद्र सरकार द्वारा उनके व्यक्तित्व और पूर्व राष्ट्रपति के कार्यालय का संविधान और संसदीय लोकतंत्र को "विध्वंसित" करने के लिए "दुरुपयोग" न करने दें।
खड़गे ने समिति के सचिव नितेन चंद्रा को लिखे अपने पत्र में कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार का कड़ा विरोध करती है। एक संपन्न और मजबूत लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए, यह जरूरी है कि पूरे विचार को त्याग दिया जाए और उच्चाधिकार प्राप्त समिति को भंग कर दिया जाए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जिस देश में संसदीय शासन प्रणाली अपनाई गई हो, वहां एक साथ चुनाव की अवधारणा के लिए कोई जगह नहीं है। सरकार द्वारा एक साथ चुनाव के ऐसे प्रारूप संविधान में निहित संघवाद की गारंटी के खिलाफ हैं। अपने पत्र में खड़गे ने यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने का विचार संविधान की मूल संरचना के विरुद्ध है और यदि एक साथ चुनाव की व्यवस्था लागू करनी है तो संविधान की मूल संरचना में पर्याप्त बदलाव की आवश्यकता होगी।
कांग्रेस अध्यक्ष ने 17 बिंदुओं में अपने सुझाव समिति के पास भेजे हैं। खरगे ने कहा, ‘‘सरकार और इस समिति को शुरू में ही इसको लेकर ईमानदार होना चाहिए था कि वे जो प्रयास कर रहे हैं वह संविधान की मूल संरचना के विरुद्ध हैं और यदि एक साथ चुनाव लागू करना है तो संविधान की मूल संरचना में पर्याप्त बदलाव की आवश्यकता होगी।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का कड़ा विरोध करती है। एक संपन्न और मजबूत लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि इस पूरे विचार को त्याग दिया जाए।