नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं ने उन्हें नमन करते हुए उनके योगदान और बलिदान को याद किया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी सहित वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली स्थित शक्ति स्थल पर पुष्प अर्पित किए और 1, सफदरजंग रोड स्थित स्मारक स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि दी।

खड़गे बोले – इंदिरा गांधी ने सशक्त भारत का निर्माण किया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इंदिरा गांधी ने अपनी दूरदर्शिता, दृढ़ इच्छाशक्ति और नेतृत्व से देश की एकता व अखंडता को मजबूत किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री और साहस की प्रतिमूर्ति इंदिरा गांधी जी ने एक प्रगतिशील भारत की नींव रखी। उनके बलिदान को देश कभी नहीं भूलेगा।”
उन्होंने कहा कि भारत की ‘आयरन लेडी’ का जीवन आज भी लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका साहस और दूरदर्शी नेतृत्व सदैव याद किया जाएगा।

राहुल गांधी बोले – दादी, आपने सिखाया आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ नहीं
राहुल गांधी ने इंदिरा गांधी को याद करते हुए कहा, “भारत की इंदिरा – निडर, निर्णायक और ताकत के सामने अडिग। दादी, आपने हमें सिखाया कि भारत की पहचान और आत्म-सम्मान से बढ़कर कुछ नहीं। आपका साहस, करुणा और देशभक्ति हर कदम पर मुझे प्रेरित करती है।”

जयराम रमेश ने याद किया बेलछी दौरा
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि इंदिरा गांधी असाधारण साहस और दृढ़ निश्चय की प्रतीक थीं। उन्होंने 1977 में बिहार के बेलछी गांव जाकर जातीय हिंसा पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी, जहां वह ट्रैक्टर और फिर हाथी की सवारी कर पहुंची थीं। रमेश ने कहा कि अगले ही दिन उन्होंने अपने राजनीतिक आलोचक जयप्रकाश नारायण से भी मुलाकात की, जो उनके अदम्य साहस का उदाहरण था।

वेणुगोपाल बोले – देश की अखंडता के लिए दिया सर्वोच्च बलिदान
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, “1984 में भारत ने अपने महान नेताओं में से एक को खो दिया। इंदिरा गांधी ने देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका जीवन हर भारतीय को प्रेरित करता रहेगा।”

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि इंदिरा गांधी साहस, दृढ़ता और नेतृत्व की मिसाल थीं। उनकी विरासत आज भी हर भारतीय के दिल में जीवित है।

पृष्ठभूमि:
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। उन्होंने 1966 से 1977 और फिर 1980 से 1984 तक देश का नेतृत्व किया। 31 अक्तूबर 1984 को उनके अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी थी। उनका जीवन देश की एकता और विकास के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है।