संसद के शीतकालीन सत्र के आगाज से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पीएम मोदी ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा था कि संसद में ड्रामा करने की बजाय देशहित में सार्थक चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वे संसद में अपने आक्रोश को छोड़कर गंभीर मुद्दों पर ध्यान दें।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस बयान को ‘ड्रामेबाजी’ करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने 11 वर्षों से लगातार संसदीय मर्यादा की अनदेखी की है। खरगे ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सरकार को अब लोगों का ध्यान भटकाने वाले ड्रामे को खत्म कर असली मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आम जनता बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक असमानता और संसाधनों की लूट जैसी समस्याओं से जूझ रही है, जबकि सत्ता में बैठे लोग केवल नाटकीय प्रदर्शन में लगे हैं।
खरगे ने विशेष रूप से BLO मौतों का जिक्र करते हुए कहा कि एसआईआर प्रक्रिया में काम का भारी बोझ लगातार जानलेवा साबित हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष संसद में वोट चोरी और अन्य गंभीर मुद्दों को प्राथमिकता देगा और इन्हें लगातार उठाता रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि नारेबाजी के लिए पूरा देश मौजूद है, लेकिन संसद में नीति और देशहित की चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति में नकारात्मकता कभी-कभी काम आती है, लेकिन उसे मर्यादा में रखते हुए राष्ट्र निर्माण पर ध्यान देना जरूरी है।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पीएम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चुनावी स्थिति, एसआईआर और प्रदूषण जैसे मुद्दों पर चर्चा संसद का मकसद है और इसे ड्रामा कहना गलत है। वहीं, केसी वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री खुद नारे लगवा रहे हैं और विपक्ष को नारे न लगाने की सलाह दे रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि जब पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे, तब ऐसा व्यवहार नहीं देखा गया।
इस तरह संसद सत्र की शुरुआत ही राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और बहस के साथ गरमाई है, जिसमें दोनों पक्ष अपने-अपने दृष्टिकोण पर अड़े हुए हैं।