कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की गर्वित ध्वजवाहक रही है। वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर उन्होंने इसे देश की सामूहिक आत्मा जगाने वाला और स्वतंत्रता संग्राम का बुलंद नारा बताया। खरगे ने कहा कि यह गीत भारत की एकता में अनेकता की भावना को दर्शाता है।
कांग्रेस की भूमिका:
खरगे ने याद दिलाया कि 1896 में कलकत्ता में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान तत्कालीन अध्यक्ष रहमतुल्लाह सयानी के नेतृत्व में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने वंदे मातरम को पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया। उन्होंने कहा कि इस कदम ने ब्रिटिश साम्राज्य की “फूट डालो और राज करो” की नीति के खिलाफ देशवासियों को एकजुट किया और वंदे मातरम एक अटूट शक्ति गीत के रूप में उभरा।
संघ और भाजपा पर आरोप:
खरगे ने भारतीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा पर आरोप लगाया कि वे स्वयं को राष्ट्रवाद का संरक्षक बताते हैं, लेकिन अपने कार्यालयों या शाखाओं में न तो वंदे मातरम और न ही राष्ट्रगान जन गण मन गाते हैं। उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना के बाद से वह इस राष्ट्रीय गीत से दूरी बनाए हुए हैं और उनके साहित्य में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता।
कांग्रेस की परंपरा:
खरगे ने कहा कि कांग्रेस हर बैठक और कार्यक्रम में वंदे मातरम और जन गण मन का श्रद्धा और गर्व के साथ गाया जाना सुनिश्चित करती है। 1896 से लेकर आज तक, हर कांग्रेस सभा में यह गीत देशभक्ति और सम्मान के प्रतीक के रूप में गाया जाता रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संघ परिवार ने स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों का साथ दिया, राष्ट्रीय ध्वज फहराने में देरी की और देश के संविधान का अपमान किया।
इस बयान के माध्यम से कांग्रेस ने वंदे मातरम को अपने इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम में पार्टी की भूमिका का प्रतीक बताते हुए संघ और भाजपा की आलोचना की।