79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत का लोकतंत्र हमारे संविधान की मजबूत नींव पर खड़ा है, और इसके चार मूल स्तंभ—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व—हमारी सभ्यता के शाश्वत सिद्धांत हैं। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को गरिमा, स्वास्थ्य, शिक्षा और समान अवसर मिलना चाहिए, खासकर उन वर्गों को जो वर्षों से वंचित रहे हैं।
विभाजन की विभीषिका को याद रखने की अपील
राष्ट्रपति ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का उल्लेख करते हुए कहा कि देश को उस पीड़ा को नहीं भूलना चाहिए, जब हिंसा और विस्थापन ने लाखों लोगों को प्रभावित किया था। उन्होंने विभाजन के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि दी।
आर्थिक प्रगति और गरीबी उन्मूलन पर जोर
स्वतंत्रता के समय घोर गरीबी से जूझते भारत ने 78 वर्षों में उल्लेखनीय विकास किया है। बीते वित्त वर्ष में 6.5% जीडीपी वृद्धि के साथ भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था रहा। राष्ट्रपति ने कहा कि सुशासन और कल्याणकारी योजनाओं ने बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है, और कमजोर वर्गों के लिए सुरक्षा कवच उपलब्ध कराया है।
बुनियादी ढांचे और कश्मीर में ऐतिहासिक उपलब्धियां
उन्होंने बताया कि भारतमाला परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार, रेलवे में तकनीकी नवाचार और कश्मीर घाटी में रेल संपर्क जैसी उपलब्धियां देश के विकास को नई दिशा दे रही हैं। इससे व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
शहरी विकास और स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति
शहरों में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार और ‘अमृत मिशन’ के तहत पेयजल व सीवेज सुविधाओं का सुधार सरकार की प्राथमिकताओं में है। ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत अब तक 55 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा मिली है, जिसमें 70 वर्ष से अधिक सभी वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं।
डिजिटल भारत की सफलता
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने विश्व नेतृत्व स्थापित किया है। लगभग सभी गांवों में 4G कनेक्टिविटी उपलब्ध है और डिजिटल भुगतान के मामले में भारत शीर्ष पर है, जहां विश्व के आधे से अधिक डिजिटल लेनदेन होते हैं।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि भारत आत्मनिर्भरता की ओर आत्मविश्वास से बढ़ रहा है और हर नागरिक को इस यात्रा में सक्रिय भागीदार बनना चाहिए।