भारत-पाकिस्तान विभाजन को लेकर एनसीईआरटी द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए मॉड्यूल पर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि परिषद को विभाजन की वास्तविक जानकारी ही नहीं है। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में आरएसएस का जिक्र होने पर भी कांग्रेस ने आपत्ति जताई।

दरअसल, 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका दिवस’ पर कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिए एनसीईआरटी ने एक विशेष मॉड्यूल जारी किया था। इसमें विभाजन के लिए कांग्रेस, मुहम्मद अली जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराया गया है। यह सामग्री पाठ्यपुस्तक का हिस्सा नहीं है, बल्कि वाद-विवाद, प्रोजेक्ट्स और चर्चाओं के जरिए पढ़ाई जाएगी।

कांग्रेस का आरोप और चुनौती
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि भाजपा के पास एनसीईआरटी है, लेकिन उन्हें विभाजन के बारे में कुछ नहीं पता। उन्होंने एनसीईआरटी को इस विषय पर खुली चर्चा की चुनौती दी। पीएम मोदी के भाषण पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यह किसी को खुश करने के लिए दिया गया ‘विदाई संबोधन’ जैसा लगा।

ओवैसी ने उठाए सवाल
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि विभाजन के बारे में लगातार झूठ फैलाया जाता है। उन्होंने मांग की कि शम्सुल इस्लाम की किताब मुस्लिम्स अगेंस्ट पार्टिशन को भी एनसीईआरटी की सामग्री में शामिल किया जाए। ओवैसी ने कहा, उस दौर में महज 2-3% मुसलमानों को ही वोट का अधिकार था, ऐसे में पूरे समुदाय को विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराना गलत है।

भाजपा का पलटवार
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस आज भी ‘मुस्लिम पहले’ और विभाजन की राजनीति कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरी वक्त में विभाजन रोकने की ताकत किसके पास थी? पूनावाला ने कांग्रेस और जिन्ना दोनों को ‘दो-राष्ट्र सिद्धांत’ का समर्थक बताया।

मॉड्यूल का सार
एनसीईआरटी के मॉड्यूल में कहा गया है कि जिन्ना ने विभाजन की मांग उठाई, कांग्रेस ने उसे स्वीकार किया और माउंटबेटन ने उसे लागू किया। इसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू का जुलाई 1947 का भाषण भी शामिल है, जिसमें उन्होंने कहा था – “विभाजन बुरा है, लेकिन एकता की कीमत चाहे जो भी हो, गृहयुद्ध उससे कहीं अधिक भयावह होगा।”