सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी की डिग्री को लेकर खूब निशाना साधा था और प्रधानमंत्री को अनपढ़ तक करार दे दिया। वहीं अब इसी मामले में गुजरात में अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा संजय सिंह की याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने आपराधिक मानहानि मामले में एक स्थानीय मजिस्ट्रेट द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती दी थी।
सीएम अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा संजय सिंह पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री के बारे में विवादास्पद टिप्पणियां कीं। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश जे.एम. ब्रह्मभट्ट ने 14 सितंबर तक के लिये आदेश सुरक्षित रख लिया।
गुजरात हाईकोर्ट द्वारा सत्र अदालत के प्रधान न्यायाधीश को एक न्यायाधीश नियुक्त करने के लिए कहने के कुछ दिनों बाद अदालत ने छह सितंबर को मामले की सुनवाई शुरू की। गुजरात विश्वविद्यालय ने मोदी की डिग्री के संबंध में अपमानजनक बयानों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के खिलाफ यहां एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष आपराधिक मानहानि वाद दायर किया है।
छह और आठ सितंबर को सुनवाई के दौरान आप नेताओं के वकीलों ने दलील दी कि निचली अदालत का समन आदेश गलत था और गुजरात विश्वविद्यालय इस मामले में मानहानि का वाद दायर नहीं कर सकता। वकीलों तर्क दिया कि दोनों नेताओं के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता।
मजिस्ट्रेट अदालत ने दोनों नेताओं को समन करते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) के तहत मामला बनता है। गुजरात हाईकोर्ट द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने के मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को रद्द करने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने केजरीवाल और सिंह की टिप्पणियों पर शिकायत दर्ज की।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि आप नेताओं ने जानबूझकर प्रेस कॉन्फ्रेंस और ट्विटर (एक्स) पर विश्वविद्यालय को निशाना बनाते हुए अपमानजनक बयान दिए। दावा किया गया कि उनकी टिप्पणियाँ अपमानजनक, व्यंग्यात्मक थीं और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाईं।