तमिलनाडु में लोकसभा सीटों के प्रस्तावित परिसीमन और तीन भाषा को लेकर विवाद के मुद्दे पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 5 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस बैठक में राज्य की 45 राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है, हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होने का ऐलान करते हुए सीएम स्टालिन पर लोगों के बीच काल्पनिक भय फैलाने का भी आरोप लगाया है और कहा कि वह लोगों के बीच गलहफहमी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.
भाजपा के एक नेता ने कहा, “हमने बैठक में भाग न लेने के अपने कारणों को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री को एक विस्तृत पत्र भेजा है. स्टालिन के पत्र में परिसीमन और तीन-भाषा नीति के बारे में कई सवाल उठाए गए हैं और हमने अपने जवाब दिए हैं, साथ ही जवाबी सवाल भी पूछे हैं. “
मुख्यमंत्री की चिंताओं के आधार पर सवाल उठाते हुए भाजपा ने पूछा, “आप किस आधार पर दावा कर रहे हैं कि तमिलनाडु की संसदीय सीटें कम हो जाएंगी? यह जानकारी किसने दी? अगर स्रोत का खुलासा किया जाता है, तो हम अपने रुख पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार हैं.”
तीन भाषा नीति पर भाजपा और स्टालिन में घमासान
इस बीच, तमिलनाडु भाजपा ने राज्य के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में तीसरी भाषा को लागू करने की वकालत करते हुए राज्यव्यापी हस्ताक्षर अभियान की घोषणा की है.
5 मार्च से शुरू होने वाले इस अभियान में पहल के समर्थन में इलेक्ट्रॉनिक और भौतिक हस्ताक्षर दोनों एकत्र किए जाएंगे. तमिलनाडु भाजपा प्रमुख अन्नामलाई ने यह भी कहा कि अभियान की अंतिम रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी.
परिसीमन से घट जाएंगी लोकसभा सीटें
दूसरी ओर, तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईडीएमके), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार द्वारा बुलाई गई सर्व-राजनीतिक पार्टी बैठक में भाग लेने का ऐलान किया है.
एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी ने कहा है कि पार्टी के दो प्रतिनिधि चेन्नई में होने वाली बैठक में भाग लेंगे और पार्टी के रुख के बारे में विस्तार से बताएंगे. भाजपा की सहयोगी पार्टी पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) ने भी इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने की घोषणा की है.
तमिलनाडु में अधिकांश राजनीतिक दलों को आशंका है कि संसदीय क्षेत्र परिसीमन की कवायद से राज्य में सीटें कम हो जाएंगी. तमिलनाडु में अधिकांश राजनीतिक दलों का मानना है कि संसदीय निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन प्रक्रिया से राज्य का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कम हो सकता है।
स्टालिन ने क्यों बुलाई ऑल पार्टी मीटिंग?
शनिवार को अपना 72वां जन्मदिन मना रहे स्टालिन ने आरोप लगाया है कि प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया से राज्य का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कम हो सकता है. उनके अनुसार, सीटों की संख्या मौजूदा 39 से घटकर 31 हो जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप दक्षिणी राज्य से आठ संसदीय निर्वाचन क्षेत्र कम हो जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि हमारा प्रतिनिधित्व (संसद में) कम हो जाएगा. तमिलनाडु की आवाज दबाई जा रही है. यह तमिलनाडु के अधिकारों का मामला है. सभी पार्टियों के इस मसले पर एक सुर में बात करनी चाहिए.
हालांकि, भाजपा और केंद्र दोनों ने इस दावे का खंडन किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्टालिन पर परिसीमन अभ्यास पर गलत सूचना अभियान चलाने का आरोप लगाया, उन्होंने जोर देकर कहा कि तमिलनाडु सहित किसी भी दक्षिणी राज्य में संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी नहीं आएगी, जब परिसीमन आनुपातिक आधार पर किया जाएगा.
इसके अलावा, सत्तारूढ़ डीएमके तीन-भाषा नीति का विरोध कर रही है और जोर दे रही है कि तमिलनाडु तमिल और अंग्रेजी से संतुष्ट है, और उसने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर “हिंदी थोपने” का आरोप लगाया है, केंद्र सरकार ने आरोप से इनकार किया है.