सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बीती 13 जुलाई को मार्च के दौरान हुई भाजपा नेता की मौत के मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट जाने को कहा है। याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी या फिर सीबीआई से जांच की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि 'हाईकोर्ट संवैधानिक संस्थाएं हैं और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उन्हें काफी शक्तियां मिली हुई हैं। स्थानीय हाईकोर्ट इसकी निगरानी कर सकते हैं और अगर उन्हें लगता है कि स्थानीय पुलिस सही तरीके से काम नहीं कर रही है तो वह सक्षम अधिकारियों के साथ एसआईटी का गठन कर सकते हैं।' इस पर याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली और हाईकोर्ट जाने की बात कही। इसके बाद कोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि हाईकोर्ट इस मामले पर तुरंत सुनवाई करे और जल्द फैसला सुनाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले के गुण दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की।
याचिका में लगाए गए आरोप
याचिका में कहा गया कि पुलिस संवैधानिक संस्था है और कानून व्यवस्था को कायम रखना उसकी जिम्मेदारी है। एक लोकतांत्रिक देश में सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति होती है। याचिका में कहा गया कि पुलिस ने अचानक मार्च को घेर लिया और लाठीचार्ज कर दी और आंसू गैस के गोले छोड़े, जिससे अफरा-तफरी मच गई। याचिका में आरोप है कि पुलिस की निर्दयता की वजह से ही भाजपा नेता की मौत हुई।
क्या है मामला
भाजपा ने बीती 13 जुलाई को पटना में विधानसभा मार्च का आयोजन किया था। बिहार सरकार की अध्यापक भर्ती नीति का विरोध कर रहे अध्यापकों के समर्थन में भाजपा ने इस मार्च का आयोजन किया था। पटना के गांधी मैदान से शुरू हुए इस मार्च को विधानसभा परिसर में खत्म होना था लेकिन बीच में ही पुलिस ने इस मार्च पर लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज के दौरान जहानाबाद जिले के भाजपा नेता विजय सिंह की मौत हो गई थी। भाजपा ने लाठीचार्ज के कारण भाजपा नेता की मौत का आरोप लगाया। हालांकि पुलिस ने भाजपा के आरोप से इनकार किया और दावा किया कि भाजपा नेता के शरीर पर चोट का एक भी निशान नहीं पाया गया।