‘बचपन में पता नहीं था, मेरे पिता सुपर जासूस हैं’, अजीत डोभाल के बेटे ने खोला चौंकाने वाला राज

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल ने अपने पिता से जुड़ी कई चौंकाने वाली बातों का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि बचपन में नहीं पता था कि उनके पिता एक आईपीएस हैं। मुझे लगता था कि वह विदेश सेवा में हैं।

भारत आने पर मुझे इसके बारे में जानकारी हुई। शौर्य को अपने पिता के गुप्त अभियान की जानकारी बहुत बाद में हुई। शौर्य डोभाल का अन्य परिचय यह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और विचार मंच ‘इंडिया फाउंडेशन’ के संस्थापक हैं। इससे पहले वह बैंकर रह चुके हैं।

जब पिता के साथी से पूछा सवाल

शौर्य डोभाल ने बताया कि एक बार उन्होंने अपने पिता के साथ काम करने वाले व्यक्ति से पूछा था कि पाकिस्तान की आईएसआई की तुलना में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की गतिविधियों के बारे में कम खबरें आती हैं। शौर्य के इस सवाल पर सहकर्मी ने कहा था कि चूंकि आपको पता नहीं चल पाता है, इसी वजह से हम अपना काम कर पाते हैं।

अजीत डोभाल से जुड़ी अहम बातें

अजीत डोभाल की पहचान जाने माने जासूस के रूप में होती है। वर्तमान में वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। यह उनका तीसरा कार्यकाल है। डोभाल केरल कैडर के 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। अजीत डोभाल कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिसकर्मी भी हैं। डोभाल ने कई सफल खुफिया अभियान में हिस्सा लिया। इनमें मिजो नेशनल आर्मी में पैठ बनाना और ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अहम भूमिका निभाना शामिल है।

अमेरिकी राजदूत ने की थी तारीफ

शौर्य ने बताया कि पिता के जासूस होने के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि अगर एक सुपर जासूस के बच्चों को उनके काम के बारे में पता होगा तो वह भला किस प्रकार का सुपर जासूस हुआ? भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने पिछले साल अजीत डोभाल की जमकर प्रशंसा की थी। उन्होंने डोभाल को पूरे विश्व की निधि कहा था।

शौर्य ने की थी इंडिया फाउंडेशन की स्थापना

शौर्य डोभाल दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में पढ़ाई कर चुके हैं। उनके पास लंदन बिजनेस स्कूल और शिकागो विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री है। शौर्य ने निवेश बैंकिंग की अपनी शानदार नौकरी छोड़कर 2009 में भारत लौटे थे। इसके बाद उन्होंने इंडिया फाउंडेशन की स्थापना की थी।

देश के लिए कुछ करने का इरादा

शौर्य ने कहा कि देश में इंडिया फाउंडेश की स्थापना एक अच्छी शुरुआत थी, क्योंकि यहां राजनीतिक ‘थिंक टैंक’ की संस्कृति नहीं थी। मैं अपने जीवन में केवल व्यावसायिक गतिविधियां ही नहीं चाहता था, यही वजह थी कि मैंने देश के लिए कुछ करने के मकसद से यह छोटी सी कोशिश की।

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