देशभर में SIR (Self-Initiated Registration) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। विशेष रूप से बिहार में इसका विरोध ज़ोर पकड़ रहा है, जहां विभिन्न राजनीतिक दलों ने सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही महाराष्ट्र को लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा चुके हैं। अब उन्होंने कर्नाटक को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।
गुरुवार को राहुल गांधी ने दावा किया कि उनकी पार्टी के पास ऐसे ठोस प्रमाण हैं जो यह साबित करते हैं कि कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव आयोग ने गड़बड़ी को अनदेखा किया। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि आयोग इस मामले से बच नहीं पाएगा और कांग्रेस उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।
राहुल के आरोपों पर चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया दी। आयोग ने कहा कि अगर चुनाव परिणामों पर आपत्ति है, तो न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो निराधार आरोपों का औचित्य नहीं बनता।
इसी बीच, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी राहुल गांधी के समर्थन में सामने आए। उन्होंने कहा कि राज्य के शहरी क्षेत्रों में कुछ मतदान केंद्रों पर व्यापक अनियमितताएं पाई गई हैं। उनका दावा है कि वोटों को बिना वैध दस्तावेजों के इधर-उधर ट्रांसफर किया गया और कई फर्जी वोट बनाए गए। शिवकुमार ने कहा कि वह इसके सबूत जल्द ही चुनाव आयोग को सौंपेंगे, भले ही आयोग उसे माने या न माने, वे इसे जनता के सामने भी रखेंगे।
उन्होंने आगे बताया कि इस मुद्दे पर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में भी एक केस स्टडी की है, जिसमें उनकी कानूनी टीम के 20 से अधिक सदस्यों ने काम किया है। उनका आरोप है कि चुनाव आयोग न तो इन मुद्दों को गंभीरता से ले रहा है और न ही कोई सुधारात्मक कदम उठा रहा है।
चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कर्नाटक के लोकसभा चुनाव से संबंधित आंकड़े भी साझा किए। आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में गड़बड़ी के संबंध में RP एक्ट 1950 की धारा 24 के तहत न तो कोई अपील दाखिल की गई है और न ही कानूनी विकल्प का उपयोग किया गया है। ऐसे में आयोग ने राहुल गांधी के बयानों को बेबुनियाद और अनुचित बताया।