जयसालमेर/तनोट। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजस्थान में सेना के कमांडरों से मुलाकात करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई रणनीतिक सोच का प्रतीक बताया और सैनिकों को हमेशा सतर्क रहने तथा दुश्मन को कभी कम आंकने की चेतावनी दी।

रक्षा मंत्री ने कहा कि देश की अखंडता की रक्षा के लिए चौबीसों घंटे सीमा पर तैनात सैनिकों का देश हमेशा आभारी रहेगा। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से यह संदेश दिया कि भारत किसी भी आतंकवादी गतिविधि का जवाब अपनी शर्तों पर देता है। इस अभियान ने न केवल सैन्य सटीकता बल्कि मानवीय गरिमा का भी पालन किया।

राजनाथ सिंह ने कमांडर सम्मेलन के बाद शुक्रवार को तनोट और लौंगेवाला के सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा कर सुरक्षा स्थिति और सैन्य तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है और देश की शांति तब तक सुनिश्चित रहेगी जब तक आतंकवादी मानसिकता पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाती।

सैनिकों की ताकत सिर्फ हथियारों में नहीं
कमांडरों से बातचीत के दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को भारत के सैन्य कौशल और राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक बताया। रक्षामंत्री ने कहा कि सैनिकों की ताकत केवल हथियारों में नहीं बल्कि उनके अनुशासन, साहस और रणनीतिक स्पष्टता में निहित है। उन्होंने भविष्य में सेना की तैयारियों पर ध्यान देने की भी आवश्यकता जताई, जिसमें रक्षा कूटनीति, आत्मनिर्भरता, सूचना युद्ध और आधुनिककरण शामिल हैं।

सीनियर कमांडरों के साथ रणनीतिक चर्चा
कमांडर सम्मेलन में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान ग्रे जोन युद्ध, संयुक्त संचालन, नवाचार और आत्मनिर्भरता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।

चीन से जारी तनाव पर संदेश
रक्षा मंत्री ने उत्तरी सीमा पर चीन के साथ जारी बातचीत और तनाव कम करने के प्रयासों का हवाला देते हुए कहा कि यह भारत की संतुलित और दृढ़ विदेश नीति को दर्शाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बातचीत जारी रहेगी और सीमा पर तत्परता हमेशा बनी रहेगी।

राजनाथ सिंह ने भारतीय सैनिकों की अनुशासन, साहस और कठिन परिस्थितियों में अनुकूलन क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे सक्षम और अनुकूलनशील सेनाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि तकनीक आधारित युद्ध की चुनौतियों के बावजूद सैनिक देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाते हैं।