‘खुद को मंदिरो का मालिक न समझें’: केरल हाईकोर्ट की त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड को फटकार

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को मंदिरों में फ्लेक्स बोर्ड के जरिए राजनीतिक संदेश देने के मामले में अहम टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने कहा कि मंदिरों में राज्य सरकार या त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) को बधाई देने वाले फ्लेक्स बोर्ड्स को लगाने की अनुमति भी नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि भक्त वहां भगवान के दर्शन करने जाते हैं, न कि मुख्यमंत्री, विधायकों या टीडीबी के सदस्यों का चेहरा देखने।

जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन और जस्टिस मुरली कृष्णा एस की बेंच ने यह टिप्पणी खुद से संज्ञान में लिए एक मामले पर सुनवाई के दौरान कही। दरअसल, अलपुझ्झा जिले में चेरथाला के करीब थुरावुर महाक्षेत्रम मंदिर में फ्लेक्स बोर्ड प्रदर्शित करने के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी। इसी मामले पर कोर्ट ने सुनवाई शुरू की थी।

बेंच ने कहा कि फ्लेक्स बोर्ड, जिनमें मुख्यमंत्री पिनरई विजयन, राज्य देवस्वम मंत्री वीएन वसावन, टीडीबी के अध्यक्ष और क्षेत्र के विधायक की तस्वीर लगी है, उसमें एलडीएफ और बोर्ड को जारी मंदलकला-मकराविलक्कु तीर्थ यात्रा के सीजन के दौरान सबरीमाला तीर्थ में आनंदम की अनुमति देने के लिए बधाई दी गई है। 

इस पर बेंच ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस तरह की गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस मुगालते में न रहें कि आप (टीडीबी) मंदिरों के मालिक हैं। बोर्ड एक ट्रस्टी है जो कि सिर्फ मंदिरों के प्रबंधन का काम करता है। भक्त मंदिरों में भगवान को देखने जाते हैं न कि मुख्यमंत्री, विधायक और टीडीबी सदस्यों का चेहरा देखने। 

पीठ ने कहा कि थुरावुर मंदिर सबरीमाला तीर्थ यात्रा के दौरान एदाथवलम (रुकने का स्थान) है। इसलिए तीर्थ के सीजन के दौरान यह टीडीबी की जिम्मेदारी है कि वह भक्तों को वहां सुविधा मुहैया कराए। कोर्ट ने निर्देश दिा कि वहां फ्लेक्स बोर्ड लगाना मंदिर की सलाहकार समिति की जिम्मेदारी नहीं है और भक्तों से मिले पैसों को इस काम में नहीं लगाया जाना चाहिए।

दोनों जजों ने इस मामले में टीडीबी और अन्य संबंधित प्राधिकरणों से जवाब मांगा। उसने टीडीबी से अपने प्रबंधन में आने वाले बाकी एदाथवलम समेत सभी मंदिरों में लगाए गए फ्लेक्स बोर्ड्स की जानकारी मांगी। 

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