प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुग्राम और दिल्ली में बड़े कॉल सेंटर घोटाले का पर्दाफाश करते हुए सात ठिकानों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई। जांच एजेंसी ने बताया कि यह मामला एक अवैध कॉल सेंटर नेटवर्क से जुड़ा है, जिसकी पड़ताल सीबीआई की एफआईआर के आधार पर शुरू की गई थी। एफआईआर में आरोप था कि कुछ लोग दिल्ली–एनसीआर से कॉल सेंटर चलाकर अमेरिकी नागरिकों से टेक फ्रॉड कर रहे थे। यह धंधा नवंबर 2022 से अप्रैल 2024 तक चला।
अमेरिकी नागरिकों को बनाया गया निशाना
ईडी की जांच में सामने आया कि आरोपियों अर्जुन गुलाटी, दिव्यांश गोयल और अभिनव कालरा ने गुरुग्राम और नोएडा से कॉल सेंटर संचालित कर अमेरिकी नागरिकों से ‘टेक्निकल सपोर्ट’ के नाम पर ठगी की। आरोपियों ने पीड़ितों के बैंक खातों में अनधिकृत पहुंच बनाकर करोड़ों रुपये विदेशी खातों में ट्रांसफर किए और फिर जटिल बैंकिंग चैनलों के जरिये पैसा वापस भारत लाकर आलीशान जीवनशैली पर खर्च किया।
दो साल में 125 करोड़ की ठगी
जांच से खुलासा हुआ है कि इस गिरोह ने करीब दो साल में 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 125 करोड़ रुपये) की धोखाधड़ी की। ईडी ने छापेमारी के दौरान 30 बैंक खातों को फ्रीज किया, आठ लग्जरी कारें, कीमती घड़ियां जब्त कीं और 100 करोड़ से ज्यादा की अवैध संपत्ति का पता लगाया।
पूरा नेटवर्क खंगाल रही है ईडी
एजेंसी के अनुसार, यह जांच सीबीआई की उस प्राथमिकी पर आधारित है जिसमें अज्ञात आरोपियों पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज किया गया था। एफआईआर में कहा गया था कि आरोपियों ने दिल्ली व आसपास से अवैध कॉल सेंटर चलाकर अमेरिकी नागरिकों को तकनीकी सहायता के बहाने ठगा। ईडी ने इस घोटाले से जुड़े कई प्रमुख लोगों से पूछताछ की है और उनके बयान दर्ज किए हैं। फिलहाल एजेंसी इस साइबर फ्रॉड के पूरे नेटवर्क की तहकीकात कर रही है।