इम्फाल। मणिपुर में जातीय हिंसा को दो साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन राज्य में अब भी पूरी शांति नहीं लौट पाई है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार कई प्रयास कर चुकी हैं, जबकि कुछ संगठन राज्य के बंटवारे का सुझाव दे रहे हैं। इस बीच शांति बहाली के प्रयासों पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को मेघालय के मुख्यमंत्री और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) अध्यक्ष कोनराड संगमा ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की।

मीडिया से बातचीत में संगमा ने स्पष्ट किया कि एनपीपी मणिपुर के बंटवारे के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि राज्य की क्षेत्रीय एकता बनाए रखना आवश्यक है। समस्या का समाधान केवल बातचीत और सहमति से ही संभव है। सभी नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे आगे बढ़ने का रास्ता खोजें।” संगमा ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल से विभिन्न संगठनों के सुझावों और सरकार द्वारा सामान्य स्थिति बहाल करने के उपायों पर चर्चा की, जिसमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।

संगमा ने अपने दो दिवसीय मणिपुर दौरे में हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों, विस्थापित परिवारों और विभिन्न समुदायों के लोगों से भी मुलाकात की।

हालांकि, संगमा के दौरे पर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला। पार्टी ने आरोप लगाया कि एनपीपी और भाजपा राज्य में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता बढ़ाने में लगे हुए हैं और शांति बहाली में विफल रही हैं।

मणिपुर में मई 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। हिंसा के चलते मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था और फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है।