चुनाव आयोग (EC) ने सोमवार को यह साफ कर दिया कि पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं डाली जाएगी। आयोग ने कहा कि सभी राज्य सरकारें संवैधानिक रूप से बाध्य हैं कि वे इस प्रक्रिया के संचालन के लिए आवश्यक कर्मियों और सहयोग की व्यवस्था करें।

12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शुरू होगा दूसरा चरण
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नवंबर से फरवरी के बीच 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में SIR का दूसरा चरण आयोजित किया जाएगा। इसमें अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

“कोई अड़चन नहीं, आयोग अपना काम कर रहा है”
जब पत्रकारों ने पश्चिम बंगाल में संभावित हिंसा की आशंका को लेकर सवाल पूछा, तो मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “इसमें कोई रुकावट नहीं है। चुनाव आयोग अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा रहा है और राज्य सरकारें भी इसे पूरा करने के लिए बाध्य हैं।” उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत आयोग को स्वतंत्र रूप से चुनावी कार्यों का संचालन करने का अधिकार प्राप्त है।

राज्यों की जिम्मेदारी – कानून-व्यवस्था और सहयोग सुनिश्चित करना
ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। उन्हें चुनाव आयोग को पर्याप्त कर्मी और सहयोग उपलब्ध कराना होगा ताकि मतदाता सूची का पुनरीक्षण और चुनाव संबंधी कार्य सुचारू रूप से संपन्न हो सके।

केरल में भी तय कार्यक्रम के अनुसार होगा पुनरीक्षण
केरल में स्थानीय निकाय चुनावों के कारण SIR टालने की मांग पर उन्होंने कहा कि अभी तक कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है, इसलिए आयोग पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पुनरीक्षण करेगा। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल और केरल में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, जबकि असम, पुडुचेरी और तमिलनाडु में भी इसी अवधि में चुनाव होने की संभावना है।