लखनऊ। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की मौत और आत्महत्या की घटनाओं ने चुनाव आयोग की चिंता बढ़ा दी है। आयोग फिलहाल यह पता लगाने में जुटा है कि क्या इन घटनाओं का संबंध काम के कथित दबाव से है।
चुनाव आयोग ने इस सिलसिले में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) से रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने बीएलओ की मौतों और आत्महत्या को काम के दबाव से जोड़ने पर आश्चर्य भी व्यक्त किया। अधिकारियों का कहना है कि बिहार में SIR तेजी से संपन्न हुआ, लेकिन वहां इस तरह की कोई घटनाएं सामने नहीं आईं।
कड़े कदम उठाने की तैयारी
बिहार में काम में लापरवाही के आरोप में करीब 450 बीएलओ को निलंबित किया गया था। आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि राज्यों से रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक और कड़े कदम उठाए जाएंगे। आयोग विशेष रूप से इस मामले में सतर्क है क्योंकि SIR के दौरान बीएलओ सीधे आयोग की प्रतिनियुक्ति पर काम करते हैं और उनकी सुरक्षा तथा स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सीधे आयोग की होती है।
पिछले दिनों आयोग ने बीएलओ को मिलने वाले भत्तों को दोगुना कर 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये किया था। इसके अलावा SIR के दौरान उन्हें मिलने वाला 2,000 रुपये का अतिरिक्त मानदेय भी 6,000 रुपये कर दिया गया। दक्षता बढ़ाने के लिए बीएलओ को दिल्ली बुलाकर प्रशिक्षण भी दिया गया।
राज्यों में सक्रियता
बीएलओ की कथित आत्महत्या की खबरों के बढ़ने के बाद राज्यों में सक्रियता दिखने लगी है। केरल के कोट्टयम जिले में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक बीएलओ ने काम के दबाव से परेशान होने की बात कही। हालांकि, वीडियो काल पर बातचीत में बीएलओ ने बताया कि उसने अपना काम तय समय में पूरा कर लिया है। राज्य अधिकारियों ने बीएलओ को मदद के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की व्यवस्था का आश्वासन दिया।
राजनीतिक उठापटक
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि SIR के नाम पर देशभर में अफरा-तफरी मची हुई है। उन्होंने दावा किया कि पिछले तीन हफ्तों में 16 बीएलओ की मौत हुई, जिसमें हार्ट अटैक, तनाव और आत्महत्या शामिल हैं। उनका कहना था कि SIR कोई सुधार नहीं बल्कि अधिकारियों पर अतिरिक्त बोझ डालने वाला दबाव बन गया है।