नई दिल्ली: चुनाव आयोग देशभर में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान शुरू करने जा रहा है। इस अभ्यास के तहत मृतक और अवैध नामों को मतदाता सूची से हटाने पर खास जोर होगा। बिहार में इस प्रक्रिया के सफल प्रयोग के बाद अब इसे सभी राज्यों में लागू करने की तैयारी है। आयोग का मानना है कि जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार के आंकड़ों को मतदान प्रणाली से जोड़ने पर यह समस्या स्थायी रूप से हल हो सकेगी।
बिहार मॉडल बना आधार
बिहार में SIR शुरू होने से पहले राज्य में 7.89 करोड़ मतदाता पंजीकृत थे। 1 अगस्त को प्रकाशित प्रारूप सूची में यह संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई। इस दौरान करीब 65 लाख नाम हटाए गए, जिनमें लगभग 22 लाख मृतक मतदाता शामिल थे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इन मृतकों का रिकॉर्ड पहले अपडेट नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा कि सामान्य पुनरीक्षण के दौरान हर घर तक फॉर्म नहीं पहुंच पाता था और परिजन भी मृत्यु की सूचना देने से चूक जाते थे। अब सख्त प्रक्रिया के चलते मृतक और स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाने में अधिक सतर्कता बरती जाएगी।
डेटा लिंकिंग से तेज होगी प्रक्रिया
आयोग अब मृत्यु पंजीकरण के इलेक्ट्रॉनिक डेटा को रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) से सीधे प्राप्त करेगा। इससे मतदान पंजीकरण अधिकारियों को समय पर सूचना मिलेगी और बूथ स्तर पर सत्यापन भी तेज़ी से हो सकेगा।
अधिकारियों का कहना है कि परिवारजन अक्सर मौत की जानकारी देने में रुचि नहीं दिखाते, लेकिन डेटा लिंकिंग मजबूत होने पर यह स्वतः ही सूची से हट जाएगा। भविष्य में नगरपालिका और ग्रामीण निकायों से जुड़ाव के बाद मतदाता सूची और अधिक त्रुटि-मुक्त बनेगी।
पश्चिम बंगाल में नई नियुक्तियां
इधर, पश्चिम बंगाल में चुनावी व्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए आयोग ने नई नियुक्तियां की हैं। 2011 बैच के आईएएस अरुण प्रसाद को अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी और 2013 बैच के आईएएस हरीशंकर पाणिकर को संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया गया है।
ये कदम उस समय उठाया गया है, जब आयोग अक्टूबर में राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण लागू करने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, ये नियुक्तियां आगामी विधानसभा चुनावों को सुचारू और प्रभावी तरीके से कराने के लिए अहम मानी जा रही हैं।