नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने शुक्रवार को कहा कि उनके परिवार को नई दिल्ली के पंडारा पार्क स्थित बंगले से जबरन निकाल दिया गया, जबकि मामला अभी अदालत में विचाराधीन है। उन्होंने इसे दलितों और गरीबों की आवाज बनने की 'सजा' करार दिया।

सूत्रों के अनुसार, उदित राज की पत्नी और सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारी सीमा राज को आवंटित बंगले में स्वीकृत अवधि से पांच महीने अधिक समय तक रहने का आरोप है। उनका बंगला पिछले साल 30 नवंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद 31 मई तक रहने की अनुमति मिली थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इसे खाली नहीं किया। इस दौरान उनके ऊपर लगभग 21.45 लाख रुपये का बकाया बन गया।

सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम के तहत 12 जून को मामला मुकदमा अनुभाग को भेजा गया और 5 अगस्त को बेदखली का आदेश पारित हुआ। 11 अगस्त को नोटिस तामील किया गया, लेकिन बंगला खाली नहीं किया गया। उदित राज ने आरोप लगाया कि 28 अक्टूबर को अदालत में सुनवाई निर्धारित होने के बावजूद अधिकारियों ने उनका सामान जबरन बाहर फेंक दिया।

सीमा राज ने बताया कि उन्होंने नया स्थान खोजने के लिए नवंबर-अंत या दिसंबर की शुरुआत तक समय मांगा था। उन्होंने कहा, "सेवानिवृत्त अधिकारी सामान्यत: छह महीने तक सरकारी आवास में बिना किसी परेशानी के रह सकते हैं। मेरे पिता की गंभीर बीमारी के कारण मैंने आवास अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया। बावजूद इसके हमें बेदखल किया गया।"

उदित राज ने कहा कि वह इस मामले को अपने पार्टी नेतृत्व के समक्ष उठाएंगे और अधिकारियों की इस जल्दबाजी पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करते हुए कहा कि उनके घर का सामान सड़क पर फेंका जा रहा है।

पूर्व सांसद उदित राज 2014 से 2019 तक भाजपा सांसद रहे और उन्होंने लोकसभा में उत्तर-पश्चिमी दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कहा कि वह घर खाली करने के लिए तैयार थे, लेकिन अधिकारियों की कार्रवाई को उचित नहीं ठहराया जा सकता।