गुजरात उच्च न्यायालय ने 2002 के दंगों के सिलसिले में लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को नियमित जमानत दे दी है। इसी मामले में उच्चतम न्यायालय ने करीब दो सप्ताह पहले सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका मंजूर की थी।
न्यायमूर्ति इलेश वोरा की अदालत ने शुक्रवार को पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) श्रीकुमार को 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर राहत दी और उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया। नियमित जमानत देने के लिए सुनवाई से पहले थोड़े समय के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है।
उच्च न्यायालय ने इससे पहले अहमदाबाद शहर की अपराध शाखा द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत दर्ज मामले में तीन आरोपियों में से एक सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 194 (मौत की सजा के लिए दोषसिद्धि हासिल करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 19 जुलाई को उन्हें नियमित जमानत दे दी थी।
श्रीकुमार को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि पूरा मामला दस्तावेजी सबूतों पर आधारित है जो जांच एजेंसी के पास है। अदालत ने यह भी कहा कि आवेदक की उम्र 75 वर्ष है और वह उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित है और उनके खिलाफ ऐसा कुछ भी नहीं बताया गया है कि उन्होंने अंतरिम जमानत के दौरान अपनी आजादी का गलत इस्तेमाल किया। पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'शीर्ष अदालत ने सह-आरोपी पर विचार किया है और इसमें मौजूद आवेदक की भूमिका पर विचार करते हुए मैं आवेदक को जमानत पर रिहा करने का इच्छुक हूं।' राज्य सरकार ने उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि कथित अपराध 'बहुत जघन्य' है और उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।'
सर्वोच्च न्यायालय ने जून 2022 में जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज किया था, जिसके बाद श्रीकुमार, सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जाकिया जाफरी के पति और पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी 2002 के दंगों के दौरान मारे गए थे। याचिका में आरोप लगाया गया था कि गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के पीछे एक 'बड़ी साजिश' थी जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल थे। अदालत ने विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा मोदी और 63 अन्य को दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखा था।