तिब्बत के पूर्व पीएम सांग्ये का दावा: चीन दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को रोकने में सक्रिय

तिब्बत के पूर्व निर्वासित प्रधानमंत्री लोसांग सांग्ये ने चीन पर दक्षिण एशिया में बढ़ते हस्तक्षेप का गंभीर आरोप लगाया है। सांग्ये का कहना है कि खासतौर पर नेपाल में चीनी दूतावास और उसके अधिकारी स्थानीय राजनीतिक और प्रशासनिक मामलों में सीधे प्रभाव डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि काठमांडो में चीनी दूतावास भारतीय और अमेरिकी दूतावासों से भी अधिक प्रभावशाली माना जाता है।

सांग्ये ने चीन की विस्तारवादी नीति पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत को सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि चीन इस क्षेत्र में भारत के प्रयासों को बाधित करने के लिए योजनाबद्ध रूप से काम कर रहा है। उनके अनुसार, तिब्बत या सीमा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य एशिया में भी भारत जहाँ अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है, चीन अवरोध डालता है।

पूर्व पीएम ने आगाह किया कि तिब्बत के साथ जो हुआ, वही अन्य देशों के साथ भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका में चीन का राजनीतिक प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। उनका मानना है कि चीन का उद्देश्य एशिया में भारत को पीछे धकेलकर खुद प्रमुख शक्ति बनना है।

सांग्ये ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तिब्बत यात्राओं का भी जिक्र किया और कहा कि इन दौरों में भारत के प्रति आक्रामक संदेश दिए गए। उन्होंने बताया कि जब भारत और चीन के बीच थोड़ी नरमी आई, तब तिब्बती समुदाय पर दबाव बढ़ा। उदाहरण के तौर पर, 2018 में ‘थैंक यू इंडिया’ कार्यक्रम आयोजित करने की योजना थी, लेकिन चीन के दबाव में भारतीय सरकार ने इसमें तिब्बती नेताओं की भागीदारी सीमित कर दी।

सांग्ये ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत हमेशा तिब्बती समुदाय का समर्थन करता रहा है। चाहे सत्ता में कोई भी पार्टी रही हो, भारत ने तिब्बतियों की पहचान, शिक्षा और धार्मिक संस्थानों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाई है।

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