पश्चिम बंगाल में नगर पालिका भर्ती घोटाले का एक और बड़ा खुलासा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में सामने आया है कि अयोग्य उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए परीक्षा की ओएमआर शीट्स दोबारा छापी गईं और अंकों में हेरफेर किया गया। इसके बदले में भारी रकम वसूली गई, जबकि योग्य उम्मीदवार नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा करते रह गए।
ईडी ने कोलकाता और आसपास के सात स्थानों पर छापेमारी करते हुए लगभग तीन करोड़ रुपये नकद और कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए हैं। तलाशी रेडिएंट एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड, गरोडिया सिक्योरिटीज लिमिटेड और जीत कंस्ट्रक्शन एंड कंसल्टेंट्स जैसी कंपनियों के दफ्तरों और निदेशकों के आवासों में की गई। जांच में यह भी सामने आया कि इन फर्मों का उपयोग घोटाले की रकम को फर्जी सेवाओं के जरिये सफेद करने के लिए किया जा रहा था।
ईडी की जांच के अनुसार, ओएमआर शीट्स को रातोंरात बदल दिया गया ताकि चुनिंदा उम्मीदवारों को अधिक अंक दिए जा सकें। इनमें वे लोग शामिल थे जो अग्निशमन मंत्री सुजीत बोस के करीबी थे या जिन्होंने नौकरी के लिए पैसे दिए थे। यह कार्रवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर की जा रही है।
इससे पहले, ईडी ने सुजीत बोस और खाद्य मंत्री रथिन घोष सहित कई नेताओं और अधिकारियों के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी। वहीं जांच में यह भी पाया गया कि भर्ती घोटाला केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं था, बल्कि कांचरापाड़ा, न्यू बैरकपुर, कमरहाटी, दमदम और अन्य नगर पालिकाओं में मजदूरों, सफाई कर्मियों, क्लर्कों और ड्राइवरों की नियुक्तियों में भी अनियमितताएं हुईं।
ईडी के मुताबिक, अयान सिल नामक कारोबारी की कंपनी एबीएस इन्फोज़ोन प्राइवेट लिमिटेड को प्रश्न पत्रों और ओएमआर शीट की छपाई से लेकर मूल्यांकन और मेरिट सूची तैयार करने तक के ठेके दिए गए थे। अयान सिल ने कथित तौर पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं के साथ मिलकर यह साजिश रची। इसके तहत, जिन उम्मीदवारों ने रिश्वत दी या राजनीतिक सिफारिश हासिल की, उनकी ओएमआर शीट बदल दी गई और उन्हें पास कर सरकारी नौकरी दिलाई गई।
ईडी की यह कार्रवाई बंगाल में चल रहे भर्ती घोटालों की श्रृंखला का एक और अध्याय है, जिसने राज्य की प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।