गुजरात हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति खुद को धर्म परिवर्तन का 'पीड़ित' बताता है, लेकिन बाद में दूसरों पर धर्म बदलने का दबाव डालता है, तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। जस्टिस नीरजर देसाई की अदालत ने 1 अक्टूबर को कुछ याचिकाएं खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
अदालत ने कहा कि किसी पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालना या लालच देना अपराध की श्रेणी में आता है।
पीड़ित बनकर दूसरों पर दबाव
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि वे मूल रूप से हिंदू थे और दूसरों के दबाव में आकर इस्लाम धर्म स्वीकार किया। इसलिए वे स्वयं पीड़ित हैं। लेकिन अदालत ने पाया कि उन्होंने आगे चलकर अन्य लोगों को धर्म बदलने के लिए प्रभावित किया और उन पर दबाव डाला।
मामला भरूच जिले का
यह मामला भरूच जिले के आमोद पुलिस थाने से जुड़ा है। एफआईआर के अनुसार, तीन लोगों ने करीब 37 हिंदू परिवारों के 100 से अधिक सदस्यों को लालच देकर इस्लाम में धर्मांतरित किया। विरोध करने वाले व्यक्ति को धमकाया गया, जिसके बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
विदेशी नागरिक पर फंडिंग का आरोप
अदालत ने एक विदेशी नागरिक पर धर्म परिवर्तन के लिए फंडिंग करने के आरोप को लेकर भी राहत देने से इनकार किया। अदालत ने कहा कि वह कई बार भारत आ चुका है और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।
मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 120B (षड्यंत्र), 153B (समुदायों में वैमनस्य फैलाना) और 295A (धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले कृत्य) के तहत दर्ज किया गया है।