नई दिल्ली। भारत में बढ़ते साइबर अपराधों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल के शुरुआती चार महीनों में ही 7.4 लाख शिकायतें दर्ज हुईं जिसमें भारतीयों से 1750 करोड़ रुपये ठगे गए। साइबर अपराधियों को मुंहतोड़ जवाब देने और लोगों के बीच साइबर सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिए केंद्र सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। इसके तहत दूरसंचार साइबर सुरक्षा के नए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गई है। साइबर अपराध होने पर त्वरित कार्रवाई की नीति के तहत इस पूरे तंत्र के हर सिरे को समयबद्ध तरीके से ट्रेस करके उस पर काबू किया जाएगा।
छह घंटे में केंद्र को देनी होगी जानकारी
दूरसंचार के किसी भी क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को अब हर हाल में एक चीफ टेलीकम्यूनिकेशंस सिक्योरिटी अफसर रखना होगा। दूरसंचार कंपनियों को कोई भी साइबर अपराध कितने ही छोटे या बड़े पैमाने पर क्यों ना हुआ हो, उसकी एक-एक जानकारी अपने चीफ टेलीकम्यूनिकेशंस सिक्योरिटी के जरिये अधिकतम छह घंटे में केंद्र को देनी होगी।
24 घंटे में उठाना पड़ेगा कदम
इस ब्योरे में प्रभावित प्रणाली के मौजूदा ब्योरे के साथ ही ऐसी सभी घटनाओं का ब्योरा देना होगा। साइबर अपराध या साइबर सुरक्षा में सेंध के मामले में 24 घंटे के अंदर दूरसंचार कंपनियों को प्रभावित सेवाओं या नेटवर्क वाले यूजर्स, उनकी गफलत की अवधि, भौगोलिक क्षेत्रों का ब्योरा भी आंकते हुए उसे केंद्र सरकार या केंद्रीय एजेंसियों को सौंपना होगा। इसी अवधि में सुधार संबंधी कदम उठा लेने होंगे या फिर उन्हें प्रस्तावित करना होगा।
केंद्र के पास पंजीकृत करना होगा IMEI नंबर
नियमानुसार निर्माता कंपनी के पास एक 'अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान' (आईएमईआई) अंक भी होता है। निर्माता कंपनियों को अपने ऐसे उपकरण की पहली बिक्री से पहले उसके आईएमईआई नंबर को भारत सरकार के पास पंजीकृत कराना होगा। जांच के बाद व्यवस्था में पाई गई खामियों को दूर करने के लिए फिर से साइबर तंत्र को और चौकस किया जाएगा। यह प्रक्रिया हर बार कोई नई खामी सामने आने पर अपनाई जाएगी।
डाटा हासिल करने का केंद्र को अधिकार
केंद्र सरकार की अधिसूचना का उद्देश्य भारतीय संचार प्रणाली और सेवाओं को सुरक्षित रखना है। इसलिए दूरसंचार सेवाएं, या प्रतिष्ठान या ऑपरेटिंग या दूरसंचार मेनटेनेंस की टेलीकॉम कंपनियों को सुरक्षा संबंधी घटनाओं की रिपोर्ट देना एक निर्दिष्ट समयसीमा में आवश्यक होगा। इन नियमों से केंद्र सरकार या उसकी अधिकृत एजेंसी को यह अधिकार होगा कि वह साइबर सुरक्षा के कारणों से ट्रैफिक डाटा और अन्य किसी भी प्रकार के डाटा (मैसेज की विषय सामग्री छोड़कर) को टेलीकॉम कंपनियों से हासिल कर सकती है।
साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी को भी अपनाना होगा
नए दूरसंचार अधिनियम के नियमों के मसौदे के अनुसार दूरसंचार कंपनियों को टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी की पॉलिसी को भी अपनाना बेहद जरूरी है। इसमें सिक्योरिटी सेफगार्ड, रिस्क मैनेजमेंट अप्रोचेज, कार्रवाइयां, प्रशिक्षण, नेटवर्क टेस्टिंग और खतरे के मूल्यांकन को भी शामिल करना होगा।
संकलित किए गए ऐसे किसी भी डाटा को गोपनीय और अनाधिकृत दखल से दूर रखना जरूरी होगा। नियमों के मुताबिक किसी को भी दूरसंचार उपकरणों के दुरुपयोग या पहचानकर्ता या दूरसंचार नेटवर्क या दूरसंचार सेवाओं में धांधली, धोखाधड़ी और निजता को भंग करने के जरिये दूरसंचार साइबर सुरक्षा को खतरे में नहीं डालना होगा।
मेटा ने घोटालों से जुड़े 50 लाख खाते हटाए
इंटरनेट मीडिया कंपनी मेटा ने म्यांमार, लाओस, कंबोडिया, यूएई और फिलीपींस में घोटाले से जुड़े केंद्रों से संबद्ध 20 लाख से अधिक खाते हटा दिए हैं। मेटा ने कहा कि वह पिग बुचरिंग नाम की एक आपराधिक संगठन की धरपकड़ में लगे हैं। हम जांच एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं जो घोटालेबाजों को पकड़ रही हैं। ऐसे घोटालों के जरिये पिछले साल विश्व भर में 64 अरब डॉलर ठग लिए गए हैं।