अवैध और नकली व्यापार से अर्थव्यवस्था व सुरक्षा को गहरा खतरा: जस्टिस मनमोहन

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मनमोहन ने चेतावनी दी है कि अवैध और नकली व्यापार देश की अर्थव्यवस्था, उद्योग, रोजगार और सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है। उन्होंने कहा कि यह कारोबार न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि बेरोजगारी, नवाचार की चोरी और आपराधिक नेटवर्क को बढ़ावा देकर समाज की जड़ों को कमजोर कर रहा है।

हर साल तीन ट्रिलियन डॉलर का अवैध कारोबार
जस्टिस मनमोहन ने बताया कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, अवैध व्यापार का पैमाना हर साल लगभग तीन ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। इसका सीधा असर आय और रोजगार पर पड़ रहा है। लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में हैं और उद्योगों की नवाचार क्षमता का दुरुपयोग हो रहा है।

नकली दवाओं से बढ़ रहा खतरा
उन्होंने कहा कि नकली दवाओं के सेवन से मरीज की हालत सुधारने के बजाय और बिगड़ सकती है, जो सीधे तौर पर जानलेवा साबित हो सकता है। नकली और तस्करी किए गए सामान पर न तो सरकार को कर मिलता है और न ही उपभोक्ता को सुरक्षा की गारंटी। ऐसे में उपभोक्ता पूरी तरह असहाय हो जाते हैं।

कानून, नागरिक समाज और नई रणनीति की जरूरत
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि भारत में सुरक्षा और मानकों के लिए कई कानून पहले से मौजूद हैं, लेकिन इन्हें सख्ती से लागू करने की जरूरत है। उन्होंने नागरिक समाज से अपील की कि वह अवैध व्यापार के खिलाफ सरकार और उद्योग जगत के साथ मिलकर कदम उठाए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। फिल्म उद्योग का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पहले पायरेसी नकली डीवीडी तक सीमित थी, लेकिन अब यह विदेशी सर्वरों और टोरेंट साइट्स के जरिए फैल रही है।

आतंकवाद को मिल रहा फंड
उन्होंने यह भी चेताया कि अवैध कारोबार से होने वाला मुनाफा अक्सर आतंकवाद की फंडिंग में इस्तेमाल होता है। ऐसे में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और कंपनियों को भी इस लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर
यह चर्चा एफआईसीसीआई कैस्केड द्वारा आयोजित “मूवमेंट अगेंस्ट स्मगल्ड एंड काउंटरफिट ट्रेड” के 11वें संस्करण में हुई। दो दिवसीय सम्मेलन में जीएसटी सुधारों पर रिपोर्ट जारी की गई। इस कार्यक्रम में वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन, यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर ड्रग्स एंड क्राइम और यूरोपीय संघ की बौद्धिक संपदा कार्यालय जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

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