न्यूयॉर्क/नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा भारत के खिलाफ की गई तीखी टिप्पणियों के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधि आपस में आमने-सामने आ गए। पाकिस्तान के नरम नहीं रहने वाले रुख पर भारतीय स्थायी मिशन के प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने एक प्रखर बहस के अंदाज़ में पलटवार किया और शहबाज के बयानों को सिरे से खारिज कर दिया।
पेटल गहलोत ने कहा कि पाकिस्तान बार-बार आतंकवाद के प्रति सहानुभूति और उसके महिमामंडन का आरोप झेलता रहा है। भारत ने 25 अप्रैल 2025 को सुरक्षा परिषद में हुई उस घटना का उदाहरण उठाया, जब पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना के पीछे कथित रूप से पाकिस्तान-प्रायोजित संगठन का नाम जुड़ा था। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि लंबी अवधि तक ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकियों को शरण देने का इतिहास रखने वाला देश खुद आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा न लेने का नाटक करता रहा है।
ऑपरेशन ‘सिंदूर’ और हालिया सैन्य कार्रवाई का हवाला देते हुए पेटल गहलोत ने कहा कि भारतीय बलों द्वारा पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाइयों से मिले तस्वीरें और सबूत इस बात को स्पष्ट करते हैं कि वहां आतंकवादियों का गढ़ मौजूद था। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यदि पाकिस्तान के अधिकारी टूटे रनवे और जल चुके हैंगरों को अपनी सफलता मानते हैं, तो उन्हें वह ‘उत्सव’ मनाने दें—पर असलियत यह है कि इन हमलों का उद्देश्य अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
भारत ने अपने प्रति लगाए गए आरोपों का भी सख्त खण्डन किया और कहा कि दोहे देशों के बीच सभी लंबित मसलों का निपटारा द्विपक्षीय बातचीत से ही संभव है; किसी तीसरे पक्ष को इसमें घुसने की जगह नहीं होनी चाहिए। पेटल गहलोत ने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों के बीच भेद नहीं किया जाएगा और भारत परमाणु दबाव के नाम पर आतंक को पनपने नहीं देगा।
पेटल गहलोत के अनुसार, विश्व को यह संदेश साफ सुनाया गया है कि आतंकवाद किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और भारत अपनी सुरक्षा को टूटने नहीं देगा।