नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत को हर समय युद्ध जैसी अप्रत्याशित स्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि सीमाओं पर हालात किसी भी क्षण बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि मई में पाकिस्तान के साथ हुए चार दिवसीय सैन्य संघर्ष ने यह साबित कर दिया कि खतरा कभी भी उभर सकता है। इस दौरान भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत निर्णायक जवाब दिया था।

राजनाथ सिंह ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सुरक्षा रणनीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है, जिससे भविष्य की दिशा तय की जा सकती है। इस अभियान में स्वदेशी सैन्य उपकरणों का व्यापक इस्तेमाल किया गया, जिसने भारत की क्षेत्रीय और वैश्विक साख को और मजबूत किया। उन्होंने कहा कि हमें निरंतर आत्ममंथन करते रहना चाहिए, क्योंकि सीमाओं पर किसी भी वक्त परिस्थितियां बदल सकती हैं।

स्वदेशीकरण ही सुरक्षा की नींव

रक्षा मंत्री ने कहा कि मौजूदा वैश्विक अस्थिरता के दौर में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी तकनीक ही भारत की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने बताया कि आकाश मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस मिसाइल और आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अपनी क्षमता सिद्ध की है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि कमजोर होती वैश्विक व्यवस्था और बढ़ते क्षेत्रीय संघर्षों के बीच भारत को अपनी सुरक्षा रणनीति को नए सिरे से परिभाषित करना होगा।

रक्षा उद्योग को मिला ‘देश का चौथा स्तंभ’ का दर्जा

रक्षा मंत्री ने रक्षा उद्योग के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के साथ-साथ उन “इंडस्ट्री वारियर्स” की मेहनत का भी परिणाम है, जो नवाचार, डिजाइन और निर्माण में जुटे हैं। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि रक्षा उपकरण केवल असेंबल न हों, बल्कि पूरी तरह भारत में बनाए जाएं—‘मेड इन इंडिया, मेड फॉर द वर्ल्ड’ की भावना के साथ।”

सरकार ने घरेलू रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए समान अवसरों वाला वातावरण तैयार किया है। उद्योग जगत से अपील की गई है कि वे इस अवसर का पूरा उपयोग करें और भारत को आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादक राष्ट्र बनाने में भूमिका निभाएं।

उत्पादन और निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि

राजनाथ सिंह ने बताया कि 2014 से पहले भारत रक्षा आयात पर निर्भर था, लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। उस समय देश का रक्षा उत्पादन करीब ₹46,000 करोड़ था, जो अब बढ़कर ₹1.51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसमें निजी क्षेत्र का योगदान ₹33,000 करोड़ का है।

उन्होंने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात, जो एक दशक पहले ₹1,000 करोड़ रुपये से भी कम था, अब बढ़कर लगभग ₹24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उनका विश्वास है कि मार्च 2026 तक यह आंकड़ा ₹30,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

रक्षा मंत्री ने कहा कि क्वांटम मिशन, अटल इनोवेशन मिशन और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन जैसे कार्यक्रम भारत में नवाचार और अनुसंधान को नई दिशा दे रहे हैं। यही पहल भारत की आने वाली सैन्य शक्ति की मजबूत नींव साबित होंगी।