चीन के मंसूबों पर भारत ने फेरा पानी, म्यांमार बॉर्डर पर लगेगी शील्ड

लगातार म्यांमार बॉर्डर से हो रही हथियारों और ड्रग्स की तस्करी के चलते भारत सरकार अब पूरे सीमा पर कटीली फेंसिंग करवा रही है। जानकारी के मुताबिक, भारत-म्यांमार की 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा पर केंद्र सरकार बाड़ लगवाने के लिए 31,000 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। यह बॉर्डर हथियारों, गोला-बारूद और मादक पदार्थों की तस्करी के लिए कुख्यात है।

मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीमा पर 30 किलोमीटर क्षेत्र में बाड़ लगाने का काम पूरा हो गया है। सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने सैद्धांतिक रूप से भारत और म्यांमार के बीच 1,643 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगभग 31,000 करोड़ रुपये की लागत से सीमा पर बाड़ लगाने और सड़कों के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इस कदम से चीन से आने वाले अवैध हथियार और ड्रग्स की तस्करी पर रोक लगेगी। 

10 किमी की फेंसिग पूरी हुई-
बता दें कि, मोरेह के पास करीब 10 किलोमीटर की बाड़ लगाने का काम पहले ही पूरा हो चुका है और मणिपुर के अन्य इलाकों में 21 किलोमीटर की सीमा पर बाड़ लगाने का काम चल रहा है।
भारत-म्यांमार सीमा मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है।

पड़ोसी देश में चल रही अस्थिरता के चलते केंद्र सरकार पहले ही भारत-म्यांमार मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म कर चुकी है। जो सीमा के करीब रहने वाले लोगों को बिना किसी दस्तावेज़ के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति देती थी। इसे भारत की एक्ट ईस्ट नीति के तहत 2018 में लागू किया गया था।

सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर की स्थिति को लेकर लगातार समीक्षा बैठकें कर रहे हैं और आवश्यक कदम उठाने के भी निर्देश दे रहे हैं। मणिपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की दो बटालियन पहले ही तैनात की जा चुकी हैं। इसके अलावा, अशांत राज्यों में केंद्रीय पुलिस बलों की करीब 200 कंपनियां तैनात की गई हैं।

मणिपुर सरकार ने आम जनता को उचित मूल्य पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए 25 मोबाइल वैन का उपयोग दुकानों के रूप में करना शुरू कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि ये दुकानें मणिपुर के सभी जिलों में चल रही हैं। उन्होंने बताया कि एक नई पहल के रूप में मणिपुर के लोगों को उचित मूल्य पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए मंगलवार से केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (केपीकेबी, पुलिस कैंटीन) खोले गए हैं।

मौजूदा 21 पुलिस कैंटीनों के अलावा 16 नई दुकानें खोली जा रही हैं। 16 नई पुलिस कैंटीनों में से आठ मणिपुर के घाटी जिलों में और शेष आठ पहाड़ी इलाकों में होंगी। पिछले साल 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा की तब शुरुआत हुई थी, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था। तब से जारी हिंसा में कुकी और मैतेई दोनों समुदायों के 220 से अधिक लोग और सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं।

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