कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार करार को किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव के बजाय, पूरी तरह से भारत के राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने गुरुवार को इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह समझौता संतुलित, निष्पक्ष और परस्पर समानता पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि कृषि और दुग्ध क्षेत्र जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को इस समझौते से अलग रखा जाना जरूरी है, ताकि देश के किसानों और घरेलू उत्पादकों के हित सुरक्षित रहें।
"संवाद समानता के आधार पर हो, जल्दबाज़ी नहीं"
शर्मा ने कहा कि अमेरिका भारत का एक प्रमुख रणनीतिक सहयोगी है, लेकिन भारत की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ और प्राथमिकताएं अलग हैं। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, “बातचीत समानता के आधार पर होनी चाहिए और भारत की ज़मीनी सच्चाइयों को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए। किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में समझौता नहीं होना चाहिए।”
उनका यह भी कहना था कि भारत के लिए दुग्ध और कृषि क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील हैं, और इन क्षेत्रों को पूरी तरह खोलना संभव नहीं है, क्योंकि ये लाखों छोटे किसानों और स्थानीय बाज़ारों से जुड़े हुए हैं।
"भारत को भी देखना होगा कि उसे क्या मिलेगा"
कांग्रेस नेता ने अमेरिका की आर्थिक ताक़त की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत को यह ध्यान में रखना होगा कि इस समझौते से उसे वास्तविक रूप में क्या लाभ प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा, “भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,500 डॉलर है, जबकि अमेरिका की लगभग 70,000 डॉलर। ऐसे में किसी भी समझौते को सोच-समझकर और संतुलन के साथ किया जाना चाहिए।”
अमेरिकी दबाव पर भारत का रुख स्पष्ट
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह संकेत दिया था कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता जल्द ही हो सकता है और इससे अमेरिकी कंपनियों को भारत में अधिक व्यापारिक अवसर मिल सकते हैं। हालांकि भारत सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह जल्दबाज़ी में कोई निर्णय नहीं लेगी और केवल उन्हीं शर्तों पर हस्ताक्षर करेगी जो देश के हित में होंगी।