भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित मध्यम ऊंचाई वाले लंबे सहनशक्ति वाले ‘तापस ड्रोन’ में खास रुचि दिखाई है। रक्षा अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन की क्षमताओं और सेवाओं में इसकी भूमिका के बारे में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ चर्चा की गई। इस दौरान ड्रोन की क्षमताओं के विस्तार पर खुलकर चर्चा की गई।
ड्रोन को लेकर अधिकारियों ने कहा कि डीआरडीओ द्वारा दो तापस ड्रोन को अंडमान और निकोबार द्वीप क्षेत्र में परीक्षण के लिए भारतीय नौसेना को सौंपने की भी संभावना है। अधिकारी ने बताया अगर परीक्षण सफल होते है, तो 10-12 ड्रोन के ऑर्डर दिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना इस मुद्दे पर आगे का फैसला लेने से पहले अन्य मुद्दों के साथ-साथ ड्रोन के प्रदर्शन को भी देखेगी।
गौरतलब है कि डीआरडीओ ने तापस ड्रोन परियोजना को ठंडे बस्ते में डालने की खबरों को दरकिनार करते हुए कहा कि तापस ड्रोन को ज्यादा विकसित करने के लिए इसे जारी रख रहा है। तापस ड्रोन का रक्षा बलों द्वारा परीक्षण किया गया है और परीक्षण के दौरान वे 28,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में कामयाब रहा और 18 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सका।
डीआरडीओ के अधिकारियों ने कहा कि संबंधित प्रयोगशाला ड्रोन में डिजाइन में सुधार और शक्ति बढ़ाने पर काम करेगी ताकि इसे ऊंचाई और सहनशक्ति की सेवा आवश्यकताओं के लिए अधिक उपयुक्त बनाया जा सके, जिसे वह हाल के मूल्यांकन में पूरा करने में सक्षम नहीं था। डॉ. समीर वी कामत के नेतृत्व वाली प्रमुख रक्षा अनुसंधान एजेंसी प्रमुख ड्रोन परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिसमें घटक और आर्चर जैसे मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन शामिल हैं।