चीनी आक्रामकता के कारण अमेरिका के साथ भारत का सहयोगात्मक रुख

वाशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एच आर मैकमास्टर ने अपनी पुस्तक में दावा किया है कि भारत सरकार मुख्य रूप से चीनी आक्रामकता के कारण अमेरिका के साथ अभूतपूर्व सहयोग की इच्छुक है। हालांकि, भारत को इस सहयोग में फंसने और अमेरिका द्वारा छोड़े जाने का भी डर है।

चीनी आक्रामकता पर की बातचीत

पुस्तक एट वार विद अवरसेल्व्स में उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान का जिक्र करते हुए कहा कि जब अफगानिस्तान में युद्ध और पाकिस्तान से भारत को होने वाले खतरे के बारे में अजीत डोभाल और एस. जयशंकर से बात की तो उन्होंने मुख्य रूप से चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर बातचीत की। शी चिनपिंग की आक्रामकता के कारण अभूतपूर्व सहयोग के लिए उनकी सोच स्पष्ट थी।

दोनों देशों के बीच साझेदारी तार्किक

दुनिया के सबसे बड़े और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्रों के बीच गहरी होती साझेदारी तार्किक लगती है, लेकिन भारत को उन प्रतिस्पर्धाओं में फंसने का डर है, जिनसे वह दूर रहना पसंद करता है।

रिचर्ड वर्मा से मिले विनय क्वात्रा

इस बीच, अमेरिका में भारत के नए राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा करने के लिए प्रबंधन और संसाधन राज्य के उप सचिव रिचर्ड वर्मा से मुलाकात की है। यह बैठक अगले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की न्यूयार्क यात्रा से पहले हो रही है।

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