चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर इतिहास रचने वाले भारत के मिशन चंद्रयान-2 ने एक बार फिर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसरो ने शनिवार (18 अक्टूबर) को बताया कि ऑर्बिटर ने सूर्य की गतिविधियों का चंद्रमा के बाह्यमंडल पर पड़ने वाला सीधा प्रभाव दर्ज किया है। इस अवलोकन से यह समझने में मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष मौसम, चंद्रमा के बेहद पतले वायुमंडल और उसकी सतह को किस तरह प्रभावित करता है।
इसरो के अनुसार, चंद्रयान-2 के लूनर ऑर्बिटर पर मौजूद उपकरण CHACE-2 ने सूर्य से निकले कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के प्रभाव को सीधे तौर पर देखा। जब मई 2024 में सूर्य का विशाल ऊर्जा विस्फोट चंद्रमा तक पहुंचा, तो उसके दिन के समय के बाह्यमंडल का दबाव अचानक कई गुना बढ़ गया। आंकड़ों से पता चला कि वातावरण में परमाणुओं और अणुओं का घनत्व दस गुना से भी अधिक बढ़ गया था। इसरो का कहना है कि यह पहली बार है जब किसी मिशन ने इस घटना को प्रत्यक्ष रूप से दर्ज किया है।
10 मई 2024 की घटना ने किया वैज्ञानिकों को चकित
यह घटना 10 मई 2024 को हुई, जब सूर्य ने लगातार कई CME तरंगें अंतरिक्ष में छोड़ीं। पृथ्वी के विपरीत, चंद्रमा के पास कोई सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र नहीं है, जिसके कारण सूर्य से निकले आवेशित कण सीधे उसकी सतह से टकरा गए। इस टक्कर से चंद्र सतह से परमाणु और अणु बाहर निकलकर बाह्यमंडल में फैल गए, जिससे वातावरण अचानक "फूल" गया।
वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण खोज
इसरो ने कहा कि यह अवलोकन भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा। क्योंकि चंद्रमा का कोई स्थायी वातावरण नहीं है, इसलिए सूर्य के विस्फोटक कण वहां सीधे असर डालते हैं। इस अध्ययन से वैज्ञानिकों को चंद्रमा के बाह्यमंडल (लूनर एक्सोस्फीयर) की संरचना और अंतरिक्षीय मौसम के प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी।
अब भी सक्रिय है चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर
22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित चंद्रयान-2 मिशन 20 अगस्त को चंद्र कक्षा में पहुंचा था। हालांकि इसका लैंडर विक्रम सितंबर 2019 में संपर्क खो बैठा था, लेकिन ऑर्बिटर अभी भी 100x100 किलोमीटर की कक्षा में सक्रिय है और लगातार महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आंकड़े भेज रहा है।
इसरो ने कहा कि यह खोज भविष्य में चंद्रमा पर प्रस्तावित मानव अभियानों और स्थायी ठिकानों के लिए एक चेतावनी के रूप में भी देखी जा सकती है। वैज्ञानिकों को ऐसे सौर तूफानों के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए आगे की योजनाएं बनानी होंगी।