भारत रविवार को अपने अंतरिक्ष इतिहास में एक और उपलब्धि दर्ज करने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2 नवंबर को शाम 5:26 बजे देश के अब तक के सबसे भारी उपग्रह सीएमएस-03 (CMS-03) का प्रक्षेपण करेगा। करीब 4410 किलोग्राम वजनी यह संचार उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे शक्तिशाली रॉकेट एलवीएम3-एम5 (LVM3-M5) के माध्यम से अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा जाएगा।
भारत से लॉन्च होगा अब तक का सबसे भारी उपग्रह
इसरो ने जानकारी दी है कि रॉकेट और सैटेलाइट का एकीकरण पूरा हो चुका है और लॉन्च पैड पर उलटी गिनती शुरू कर दी गई है। यह मिशन जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में उपग्रह को स्थापित करेगा। एलवीएम3 रॉकेट 4000 किलोग्राम तक के पेलोड को अंतरिक्ष में ले जाने की क्षमता रखता है।
इसरो इससे पहले भी भारी उपग्रह लॉन्च कर चुका है—जीसैट-11, जिसका वजन 5854 किलो था, लेकिन वह फ्रेंच गुयाना से प्रक्षेपित किया गया था। अब पहली बार इतना भारी सैटेलाइट भारत की धरती से ही लॉन्च किया जाएगा।
सैटेलाइट से मजबूत होगी संचार व्यवस्था
सीएमएस-03 उपग्रह भारत के डिजिटल संचार नेटवर्क को नई दिशा देगा। इसके संचालन से देश के दूरदराज़ और समुद्री क्षेत्रों में हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट, डिजिटल कनेक्टिविटी, टीवी प्रसारण, टेलीमेडिसिन, ऑनलाइन शिक्षा और आपदा प्रबंधन सेवाओं में सुधार आएगा।
भारत की अंतरिक्ष संचार क्षमता में नई छलांग
इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक, सीएमएस-03 मिशन भारत की राष्ट्रीय संचार अवसंरचना को नई ऊंचाई देगा। यह उपग्रह न केवल नागरिक उपयोग बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में भी देश की संचार सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करेगा। इसके सफल प्रक्षेपण के साथ भारत अपने सैटेलाइट नक्षत्र (Satellite Constellation) और गहरे समुद्री संचार नेटवर्क के विकास में एक और बड़ा कदम उठाएगा।