विमानन कंपनियों को उनके विमानों को बम से उड़ाने की मिलने वाली फर्जी धमकियों की बढ़ती संख्या के बीच सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंचों से कहा है कि वे उचित सावधानी बरतें और सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत निर्धारित समयसीमा के भीतर गलत सूचना को तुरंत हटा दें या उस तक पहुंच को बाधित करें। बम धमकियों को लेकर फर्जी कॉल्स पर आईटी मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है। वहीं मंत्रालय की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से भी मदद मांगी गई है। जानकारी के मुताबिक मंत्रालय ने इस मुद्दे को सुलझाने में मदद के लिए एक्स, मेटा और अन्य प्लेटफॉर्म से संपर्क किया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को कार्रवाई की चेतावनी
वहीं जानकारी के मुताबिक फर्जी बम धमकियों के मामले में सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की तरफ से ‘उचित परिश्रम’ अनुपालन में विफलता के मामले में परिणामी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि इस तरह की गलत सूचना को हटाने या उस तक पहुंच को बाधित करने के अलावा सोशल मीडिया मंच संचालकों का ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ 2023 (बीएनएसएस) के तहत अतिरिक्त दायित्व है कि वे अपने मंच के किसी भी उपयोगकर्ता की ओर से किए गए अपराध की अनिवार्य रूप से शिकायत करें। इनमें भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता या सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के इरादे से किए गए अपराध भी शामिल हैं।
सभी राज्यों में बने ‘साइबर कमांडो की विशेष शाखा’
गृह मंत्रालय ने मंगलवार को एक परामर्श जारी किया, जिसमें सभी राज्यों से साइबर कमांडो की एक विशेष शाखा स्थापित करने का आग्रह किया गया। यह पहल पिछले सप्ताह भारतीय एयरलाइनों को लक्षित करने वाले 100 से अधिक फर्जी बम धमकियों के जवाब में की गई है, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी हुई और एयरलाइनों को वित्तीय नुकसान हुआ। इनमें से अधिकांश खतरों का पता सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर खातों से लगाया गया था, जिन्हें वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क या डार्क वेब ब्राउज़र का उपयोग करके बनाया गया था, जो जांच एजेंसियों द्वारा पता लगाने से बच रहे थे। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने साइबर रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और ऐसे खतरों से बचाने की तत्काल आवश्यकता को पहचाना है।
पीएम मोदी ने की थी विशेष विंग के गठन की सिफारिश
जनवरी 2023 और 2024 में आयोजित डीजीपी और आईजीपी सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री की तरफ से इस विशेष विंग के गठन की सिफारिश की गई थी। गृह मंत्रालय का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 5,000 साइबर कमांडो की भर्ती करना है, जिसमें विंग को राज्य पुलिस संगठनों में एकीकृत किया जाएगा, जो राष्ट्रीय संसाधन के रूप में कार्य करेगा। साइबर कमांडो के लिए चयन प्रक्रिया राज्य और केंद्र स्तर पर कई पुलिस संगठनों के सेवारत कर्मियों पर केंद्रित होगी, जिनके पास कंप्यूटर नेटवर्क और ऑपरेटिंग सिस्टम का मूलभूत ज्ञान है। ये प्रशिक्षित कमांडो अपने संबंधित पुलिस संगठनों के भीतर काम करेंगे और उन्हें डिजिटल फोरेंसिक, घटना प्रतिक्रिया और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने में विकसित उनकी विशेषज्ञता के आधार पर काम सौंपा जाएगा।