शीतकालीन सत्र की शुरुआत के साथ ही संसद में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने सरकार की नीतियों और एनडीए की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए तीखा रुख अपनाया।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नव-नियुक्त सभापति सीपी राधाकृष्णन का अभिनंदन करते हुए सदन के संचालन में निष्पक्षता बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधानिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं के प्रति प्रतिबद्ध है, और उम्मीद करती है कि सदन में सभी पक्षों को समान अवसर मिले।

धनखड़ के इस्तीफे पर खरगे की टिप्पणी

खरगे ने अपने संबोधन में पूर्व उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति रहे जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस तरह का कदम संसदीय इतिहास में कम ही देखा गया है।
इस पर सभापति राधाकृष्णन ने भरोसा दिलाया कि सदन की कार्यवाही निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ेगी।

गौरतलब है कि धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों के चलते उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था। लम्बे समय तक सार्वजनिक जीवन से दूर रहने के बाद वह हाल में चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत के शपथ ग्रहण में नजर आए थे।

‘विदाई का अवसर न मिलने’ पर खरगे की निराशा

खरगे ने यह भी कहा कि सदन को धनखड़ को औपचारिक विदाई देने का अवसर नहीं मिला, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने राधाकृष्णन के राजनीतिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए उन्हें पक्ष-विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखने की सलाह दी और सफल कार्यकाल की शुभकामनाएँ दीं।

सत्ता पक्ष की कड़ी आपत्ति

खरगे के वक्तव्य पर सत्ता पक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
संसदीय कार्य मंत्री किरेंन रिजिजू ने कहा कि नए सभापति के स्वागत जैसे गंभीर अवसर पर धनखड़ के इस्तीफे का मुद्दा उठाना उचित नहीं है। रिजिजू ने विपक्ष पर पूर्व सभापति के प्रति अनुचित भाषा के इस्तेमाल का आरोप भी लगाया।

राज्यसभा के नेता जेपी नड्डा ने भी हस्तक्षेप करते हुए सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि विपक्ष धनखड़ के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव भी ला चुका है, ऐसे में इस मुद्दे को उठाना सौहार्दपूर्ण माहौल में बाधा डालता है।

बिहार-हरियाणा चुनावों का भी जिक्र

नड्डा ने हालिया बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्ष चुनावी हार से आहत है और इसीलिए संसद में अनावश्यक मुद्दे उठा रहा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का भी उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि विपक्ष बिहार में मिली हार को स्वीकार नहीं कर पा रहा है।