भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी जवाबी प्रतिक्रियाओं के लिए जाने जाते हैं। अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत विरोधी बयानों पर सटीक प्रतिक्रियाएं मिलते ही विरोधियों की जुबान बंद हो जाती है। खालिस्तानी आंतकियों की हत्या करने की साजिश के आरोपों के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को बंगलूरू स्थिति एक कार्यक्रम में कहा कि अमेरिका और कनाडा के मुद्दे एक जैसे नहीं हैं। अमेरिका ने इससे जुड़े कुछ जरूरी जानकारी दीं। आरोपों में अंतर बताते हुए कहा कि भारत अन्य देशों द्वारा उठाए गए विशिष्ट मुद्दों पर गौर करने के लिए हमेशा तैयार है। हम हमेशा से इसे देखने के लिए तैयार रहे हैं। जब अमेरिका कुछ मुद्दा उठाता है तो जरूरी नहीं कि दोनों मुद्दे एक जैसे हों। जब कनाडा ने मुद्दा उठाया, तो यूएसए ने हमें कुछ खास बातें बताईं। हर कोई जानता है कि भारत एक ऐसा देश है, जहां के लोग जिम्मेदार है और विवेक से ही काम करते हैं।

पड़ोसी आपकी हर बात पर सहमत नहीं होंगे- जयशंकर
कार्यक्रम में भारत के पड़ोसी देशों सहित चीन से संबंधित मुद्दों पर जयशंकर ने कहा कि मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि कुछ पड़ोसी रिश्तें, एक समस्या है। लेकिन मैं आपको राय दूंगा कि पाकिस्तान के साथ रिश्ता वास्तव में एक अपवाद है। आज हमारे पड़ोसियों में से एक के पास वास्तव में भारत के बारे में बोलने के लिए कई अच्छे अनुभव हैं। पड़ोंसियों के साथ स्वाभाविक है कि मतभेद के मुद्दे होंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें ये भी ध्यान में रखना होगा कि पड़ोसी हमारी हर बात पर सहमत नहीं होंगे। 

'पिछले कुछ वर्षों में चीन के साथ कुछ मुद्दों पर मतभेद'
चीन के साथ संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे रिश्ते आज की तुलना में चीन के साथ बेहतर हों। लेकिन पिछले तीन वर्षों से कुछ चीजें अधिक कठिन हो गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने सीमा पर समझौतों का पालन नहीं करने का फैसला किया है। साथ ही जयशंकर ने कूटनीति पर बोलते हुए कहा कि कूटनीति यह कहती है कि आपके पडो़सी चाहे कितने भी जिद्दी क्यों न हो, वे कितनी भी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां ही क्यों न बना दें, आप कभी कभी हार नहीं मानते हैं। 

जयशंकर बोले, यह मानवीय विफलता
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पुराने क्लब की तरह है। जहां कुछ सदस्य अपनी पकड़ को कमजोर नहीं करना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि उन्हीं की सिर्फ क्लब पर पकड़ हो। न ही वो चाहते हैं कि नए सदस्यों को शामिल किया जाए। यहां तक कि वे मुद्दों को लेकर उदासीन दिखाई देते हैं। ऐसी स्थिति को देखकर लगता है कि यह एक मानवीय विफलता है। 

मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र अब ज्यादा प्रभावी नहीं- जयशंकर
कार्यक्रम में सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है संयुक्त राष्ट्र के व्यवहार से दुनिया को नुकसान हो रहा है। साफतौर पर यह विश्व के लिए नुकसान भरा है। विश्व के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र का प्रभाव बेहद कम होता जा रहा है।

राष्ट्रों से पूछे, सुधार किया जाए या नहीं- जयशंकर 
जयशंकर ने कहा कि मैं वैश्विक भावनाओं को भी बता सकता है हूं। मेरे कहने का मतलब है कि अगर आज ही आप 200 देशों से पूछें कि क्या वह संयुक्ता राष्ट्र में सुधार का समर्थन करते हैं या नहीं, तो मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि बड़ी संख्या में सदस्य राष्ट्र इसमें सुधार की वकालत करते हैं।