भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भेंट की। इस दौरान दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने तथा सहयोग के नए रास्ते तलाशने पर विचार-विमर्श किया। मुलाकात ऐसे समय हुई है जब भारत और रूस अपने आर्थिक और राजनीतिक रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में सक्रिय प्रयास कर रहे हैं।
इससे पहले जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से लंबी बैठक की थी, जिसमें विशेष रूप से व्यापारिक सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। भारत का लक्ष्य ऊर्जा, रक्षा, तकनीक और वाणिज्य जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को नई ऊंचाई तक ले जाना है।
पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियां
जयशंकर का यह दो दिवसीय मॉस्को दौरा राष्ट्रपति पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा से भी जुड़ा हुआ है। माना जा रहा है कि पुतिन नवंबर या दिसंबर में नई दिल्ली आ सकते हैं, जहां दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग और विज्ञान-तकनीक के आदान-प्रदान जैसे अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।
स्थिर रिश्तों का उदाहरण भारत-रूस संबंध
रूसी विदेश मंत्री के साथ वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारत और रूस के संबंध दुनिया के सबसे स्थिर रिश्तों में गिने जाते हैं। उनके अनुसार, यह संबंध राजनीतिक समानता, नेताओं के बीच निरंतर संवाद और दोनों देशों के नागरिकों की आपसी नजदीकियों से सुदृढ़ बने हैं।
व्यापारिक संतुलन पर ध्यान
भारत और रूस के बीच पिछले कुछ वर्षों में व्यापार तेजी से बढ़ा है। हालांकि, इसमें अभी भी असंतुलन है। भारत रूस से तेल, कोयला और रक्षा सामग्री का बड़े पैमाने पर आयात करता है, लेकिन भारतीय निर्यात की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है। इसी को संतुलित करने के लिए नई संभावनाओं पर जोर दिया जा रहा है।
भारत और रूस दशकों से रक्षा और ऊर्जा सहयोग के स्तंभों पर आधारित मजबूत साझेदार रहे हैं। मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में दोनों देशों की कोशिश है कि साझेदारी को नए आयाम दिए जाएं और रणनीतिक सहयोग को और आगे बढ़ाया जाए।