नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदान देने वाले देशों के सम्मेलन (UNTCC) में भाग लिया और इस दौरान संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान यूएन संरचना 1945 की परिस्थितियों को दर्शाती है और इसे 2025 की वास्तविकताओं के अनुसार समायोजित करने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग
अपने संबोधन में डॉ. जयशंकर ने कहा, "मैं हाल ही में न्यूयॉर्क में 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेकर लौटा हूं। उस अनुभव से स्पष्ट हुआ कि संयुक्त राष्ट्र आज भी 1945 की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करता है, जबकि दुनिया बदल चुकी है। अब सदस्य देशों की संख्या चार गुना हो गई है। जो संस्थाएं समय के साथ बदलाव नहीं करतीं, उनके अप्रासंगिक होने का खतरा होता है।" उन्होंने आगे कहा कि यूएन को अधिक समावेशी, लोकतांत्रिक और सहभागी बनाना होगा और विकासशील देशों तथा उभरते वैश्विक दक्षिण की आकांक्षाओं को भी प्रतिबिंबित करना होगा।
शांति अभियानों पर सुझाव
डॉ. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि ये सैनिक मानवीय मदद पहुंचाने और बहुपक्षवाद को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने उन 4,000 से अधिक शांति सैनिकों को याद किया जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि जिन देशों में शांति सेना तैनात की जाती है और जिन देशों के सैनिक इसमें शामिल होते हैं, उनके साथ परामर्श और समन्वय बढ़ाया जाना चाहिए।
इस सम्मेलन में भारत ने वैश्विक शांति और बहुपक्षीय सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए यूएन सुधार की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प व्यक्त किया।