जेडीयू-टीडीपी ने वक्फ बिल का किया समर्थन, आज लोकसभा में होगा पेश

सरकार वक्फ संशोधन बिल को लेकर अब आर या पार के मूड में है. सरकार ने मंगलवार को साफ कर दिया कि वो बुधवार को दोपहर 12 बजे इस बिल को लोकसभा के पटल पर रखेगी. विपक्षी दलों के विरोध के बाद भी सरकार इस मुद्दे पर पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. सरकार का कहना है कि बिल को लेकर जेपीसी और अन्य दलों की ओर से जो भी सुझाव दिए गए थे उसके अनुरूप संशोधन किए गए हैं.

वक्फ संशोधन बिल के पेश होने का पूरा कार्यक्रम भी जारी हो चुका है. जिसके मुताबिक कल लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश होगा, कल ही बिल को पास कराने की कोशिश होगी, चर्चा के लिए 8 घंटे का वक्त तय हुआ है. कांग्रेस बिल पर 12 घंटे चर्चा चाहती थी, लेकिन वैसा नहीं हुआ. अब संसद में बुधवार दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर चर्चा शुरू होगी. चर्चा की रूपरेखा तय करने के लिए आज बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की एक बैठक भी हुई लेकिन विपक्षी दलों ने इस बैठक से वॉकआउट कर दिया.

बीजेपी जारी कर चुकी है तीन लाइन का व्हिप

करीब 8 महीने की चर्चा और जेपीसी की रिपोर्ट के बाद बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश तो हो जाएगा लेकिन क्या ये पास हो पाएगा या विपक्षी दल इसे रोकने में कामयाब हो जाएंगे ये भी बड़ा सवाल है. दरअसल राजनीति की सूई इसी पर अटकी हुई है. बीजेपी के कुछ गठबंधन के साथी ऐसे हैं जो वक्फ बिल का समर्थन तो कर रहे हैं लेकिन आखिरी समय में वो रुख बदल ना दें, पार्टी को इस बात की चिंता भी होगी. इसलिए बीजेपी ने अपने लोकसभा सांसदों को कल सदन नें मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया.

लोकसभा में क्या है नंबर का खेल?

वैसे मौजूदा नंबर देखें तो वक्फ संशोधन विधेयक के पक्ष में एनडीए के पास 293 सांसद हैं. जिसमें बीजेपी-240, टीडीपी-16, जेडीयू-12, शिवसेना-7, एलजेपी-5, आरएलडी-2 और अन्य- 11 सांसद हैं. इन सांसदों की कुल संख्या 293 होती है. इस तरह से देखें तो सरकार को लोकसभा में इस बिल को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

दूसरी ओर विरोध में रहने वाले कुल सांसदों की संख्या 235 के आसपास है. इसमें पूरा इंडिया गठबंधन शामिल है. पार्टी वाइज सांसदों को देखें तो कांग्रेस के 99, समाजवादी पार्टी के 37, टीएमसी के 28, डीएमके के 22, शिवसेना UBT के 9, एनसीपी (SP) के 8 और 32 अन्य हैं, कुल मिलाकर इनकी संख्या 235 होती है.

सहयोगी दलों के सुझाव को खास तरजीह

इन दोनों गठबंधनों के अलावा 14 अन्य हैं, जिसमें ज्यादातर वक्फ संशोधन बिल के विरोधी हैं लेकिन इनके मिल जाने से वक्फ बिल पर सत्ता पक्ष कमजोर नहीं होगा क्योंकि उसके पास खुद के 293 सदस्य हैं. सरकार ने वक्फ संशोधन बिल को पास कराने के लिए अपने सहयोगी दलों के सुझाव को खास तरजीह दी है. खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड के सुझावों को विधेयक में शामिल किया गया है.

सरकार ने इन सुझावों को भी माना

  • वक्फ संशोधन बिल में राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र बना रहेगा
  • वक्फ की संपत्ति है या नहीं ये तय करने के लिए राज्य सरकार कलेक्टर की रैंक से ऊपर के अधिकारी को नियुक्त कर सकती है.
  • कानून के मुताबिक बनी पुरानी मस्जिदों, दरगाह और अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थानों से छेड़छाड़ नहीं होगी.
  • औकाफ यानी दान की सूची गजट में प्रकाशन के 90 दिनों के भीतर पोर्टल पर अपडेट करनी होगी.
  • वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो सदस्य गैर मुस्लिम होंगे.
  • वक्फ बोर्ड में वक्फ मामलों से संबंधित संयुक्त सचिव पदेन सदस्य होंगे.

कल वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश होगा लेकिन उससे पहले राजनीतिक बयानों में काफी गर्मी थी. कुछ नेताओं का तर्क था कि इस बिल के पास होने से मुस्लिमों की जमीन छीन ली जाएगी तो सरकार इसे सिर्फ गुमराह करने का तरीका मान रही है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि बिल का विरोध करने वाले करोड़ों की जमीन पर कब्जा करके बैठे हैं, ये सबको पता है.

AIMIM बिल को असंवैधानिक बता चुकी है

AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का दावा है कि ये बिल असंवैधानिक है और मुसलमानों को उनकी प्रॉपर्टी से बेदखल करने की साजिश है. जबकि अखिलेश यादव का कहना है कि बीजेपी हर चीज में हस्तक्षेप करना चाहती है। वो हर जगह नियंत्रण चाहते हैं. कुल मिलाकर बुधवार का दिन बहुत अहम है.

हालांकि इन बयानों से अलग ये दावा किया जा रहा है कि सहयोगियों के रुख के बाद सरकार ने बिल को थोड़ा लचीला कर दिया है. सरकार ने JDU, TDP और HAM की राय मान ली है.

  • संशोधित बिल में 2025 तक जो संपत्ति वक्फ की थी, वो वक्फ की ही रहेगी.
  • अगर जमीन विवाद नहीं है तो संपत्ति वक्फ की ही रहेगी.
  • अगर जमीन सरकारी नहीं है तो भी संपत्ति वक्फ की ही रहेगी.
  • जो ट्रस्ट धर्मार्थ कार्यों में हैं उस पर कानून लागू नहीं होगा.
  • वक्फ के उद्देश्य से बनाए गए ट्रस्ट पर भी ये कानून लागू नहीं होगा.

वैसे तो विपक्षी नेताओं का दावा है कि मुसलमान वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में हैं लेकिन मुस्लिम समाज में ही कुछ ऐसे लोग हैं जो इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं. खास तौर पर राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज इस बिल के समर्थन में लोगों को जागरूक कर रहा है और दावा कर रहा है कि इससे मुस्लिमों का फायदा होगा.

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