सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ, जिन्होंने जस्टिस जेबी पारदीवाला की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ का नेतृत्व करते हुए आवारा कुत्तों से जुड़े आदेशों में संशोधन किया, ने इस मामले पर आज अदालत से बाहर हल्के अंदाज में प्रतिक्रिया दी। जस्टिस नाथ ने कहा कि उन्हें आवारा कुत्तों का आभारी होना चाहिए, जिन्होंने उन्हें न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया की सिविल सोसाइटी के सामने पहचाने जाने का अवसर दिया।

जस्टिस नाथ ने सीजेआई का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन्हें यह मामला सौंपा। उन्होंने बताया कि उन्हें कुत्ते प्रेमियों के साथ-साथ कुत्तों से भी आशीर्वाद और शुभकामनाएं मिल रही हैं।

जस्टिस नाथ यह बातें केरल के तिरुवनंतपुरम में आयोजित ‘मानव-वन्यजीव संघर्ष और सह-अस्तित्व: कानूनी और नीतिगत दृष्टिकोण’ विषयक सम्मेलन में कही। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) और केरल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (KeLSA) द्वारा आयोजित किया गया था।

उन्होंने सम्मेलन में कहा कि उन्हें कानूनी क्षेत्र में अपने काम के लिए जाना जाता है, लेकिन आवारा कुत्तों के मामले ने उन्हें न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी पहचान दिलाई।

सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों के संबंध में पिछले कठोर आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि कुत्तों का बंध्याकरण, टीकाकरण कर उनके मूल क्षेत्र में लौटाना चाहिए। केवल आक्रामक और पागल व्यवहार वाले कुत्तों को ही अलग रखा जा सकता है।