तेलंगाना हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) और पूर्व मंत्री टी. हरीश राव को फिलहाल बड़ी राहत दी है। अदालत ने आदेश दिया है कि कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना से जुड़ी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 7 अक्तूबर तक दोनों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। यह निर्देश आयोग की रिपोर्ट और उस पर उठे विवाद के बीच आया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पी.सी. घोष की अध्यक्षता वाले आयोग ने 31 जुलाई को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें परियोजना के निर्माण में अनियमितताओं का जिक्र करते हुए इसकी जिम्मेदारी केसीआर पर डाली गई थी, वहीं तत्कालीन सिंचाई मंत्री हरीश राव की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए थे।
रिपोर्ट को चुनौती देते हुए दोनों नेताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और सरकार को कार्रवाई से रोकने की मांग की। अदालत ने सुनवाई के बाद स्पष्ट किया कि अगली तारीख तक रिपोर्ट के आधार पर कोई प्रतिकूल निर्णय नहीं लिया जाएगा।
सुनवाई में महाधिवक्ता सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट विधानसभा में अभी पेश नहीं हुई है, लेकिन इसे प्रस्तुत करना आवश्यक है। सरकार ने इस मामले को राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (NDSA) और अन्य एजेंसियों की सिफारिशों को देखते हुए सीबीआई को सौंप दिया है।
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने विधानसभा में घोषणा की कि कालेश्वरम परियोजना की जांच सीबीआई करेगी। उनका कहना था कि परियोजना से जुड़े अंतरराज्यीय पहलुओं और विभिन्न एजेंसियों की भागीदारी को देखते हुए यह सबसे उचित कदम है।
इस तरह कालेश्वरम परियोजना का मामला अब न्यायिक आयोग, अदालत और सीबीआई जांच—तीनों स्तरों पर आगे बढ़ रहा है। हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश केसीआर और हरीश राव के लिए अस्थायी राहत लेकर आया है, लेकिन 7 अक्तूबर के बाद स्थिति किस दिशा में जाएगी, इस पर सबकी निगाहें रहेंगी।