कर्नाटक में भाजपा सांसद विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी द्वारा राष्ट्रगान को लेकर दिए गए बयान ने राजनीतिक बहस छेड़ दी है। होन्नावर में 'वंदे मातरम' के 150वें वर्ष समारोह में कागेरी ने कहा कि 'जन गण मन' को ब्रिटिश अधिकारियों का स्वागत करने के लिए लिखा गया था और इसके मुकाबले 'वंदे मातरम' को ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों गान आज समान महत्व रखते हैं और वंदे मातरम हर नागरिक तक पहुंचना चाहिए।
सांसद कागेरी ने कहा, "मैं इतिहास में नहीं जाना चाहता। हमारे पूर्वजों ने वंदे मातरम और जन गण मन दोनों को अपनाया। आज के 150वें साल में वंदे मातरम को स्कूलों, कॉलेजों, युवाओं और आम जनता तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।"
इस बयान पर कांग्रेस नेता और कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सांसद का यह दावा पूरी तरह बकवास है। खरगे ने सोशल मीडिया पर लिखा, "एक और दिन, आरएसएस का व्हाट्सएप इतिहास का ज्ञान। 'जन गण मन' रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा 1911 में लिखा गया था और इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में पहली बार गाया गया। यह कभी भी किसी ब्रिटिश राजा के सम्मान के लिए नहीं लिखा गया।"
खरगे ने आगे कहा कि टैगोर ने 1937 और 1939 में स्पष्ट किया कि यह गीत भारत के भाग्य विधाता की जय-जयकार करता है, न कि किसी विदेशी शासक के लिए।
इस विवाद ने राष्ट्रगान के इतिहास और महत्व को लेकर राजनीतिक बहस को फिर से गर्मा दिया है।