कर्नाटक विधानसभा ने सोमवार को ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस बिल पारित किया. इसका बीजेपी ने विरोध किया. ये बिल ग्रेटर बेंगलुरु क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा 7 नगर निगमों में बांटकर बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के पुनर्गठन से संबंधित है. इसमें पर्यवेक्षण के लिए ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण के गठन, महापौर और डिप्टी मेयर के लिए 30 महीने के कार्यकाल का भी प्रावधान है.
ये बिल विधानसभा में उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने पेश किया. उनके पास बेंगलुरु विकास विभाग है. इसको लेकर डिप्टी सीएम शिवकुमार ने कहा कि हम सत्ता और प्रशासन का विकेंद्रीकरण चाहते हैं. हम बेंगलुरु को नष्ट नहीं कर रहे हैं, जैसा कि विपक्ष के सदस्यों ने कहा है. इसके बजाय हम इसे मजबूत कर रहे हैं. हम बेंगलुरु को मजबूत बनाना चाहते हैं. ये बिल बेंगलुरु को नई दिशा देने के लिए लाया गया है.
ये बिल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का अपमान है
डिप्टी सीएम शिवकुमार बयान पर पलटवार करते हुए विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि ये बिल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का अपमान है, जो स्थानीय निकायों को मजबूत करना चाहते थे. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अन्य स्थानीय निकायों के लिए उन्हें कई प्रभागों में विभाजित करने की इसी तरह की मांग उठाने का मार्ग प्रशस्त कर रही है. बेंगलुरु को विभाजित करने से हमें कोई मदद नहीं मिलेगी.
…तो आप विभाजन क्यों करना चाहते हैं?
येलहंका के भाजपा विधायक एसआर विश्वनाथ ने कहा कि जब मुख्य आयुक्त पिछले कई साल से बिना निर्वाचित निकाय के बीबीएमपी चला रहे हैं तो आप विभाजन क्यों करना चाहते हैं? अगर आप अभी भी बीबीएमपी के प्रशासन का विकेंद्रीकरण चाहते हैं तो चुनाव कराएं. एक निर्वाचित निकाय बनाएं जो शहर को अच्छी तरह से मैनेज करे.
उन्होंने ये भी कहा, अगर सरकार ग्रेटर बेंगलुरु बनाने की इच्छुक है तो इसे लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद किया जाना चाहिए. बीजेपी विधायक ने कहा कि हम इसके प्रशासन को मजबूत करने में आपका समर्थन करेंगे लेकिन बेंगलुरु को विभाजित न करें.