बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भीम आर्मी के मार्च के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया जाए, ताकि किसी प्रकार की टकराव की स्थिति न बने। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को यह भी निर्देश दिया कि वे मार्च के मार्ग और अन्य व्यवस्थाओं के संबंध में जिला कलेक्टरों के समक्ष नई याचिका दायर करें। इस मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में भीम आर्मी और दलित पैंथर्स ने चित्तपुर में प्रदर्शन आयोजित करने की अनुमति मांगी थी। वहीं, 19 अक्टूबर को चित्तपुर प्रशासन ने संघ के प्रस्तावित रूट मार्च को सुरक्षा कारणों से मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। तहसीलदार के आदेश में कहा गया था कि चित्तपुर में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 19 अक्टूबर को आरएसएस का मार्च निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

प्रशासनिक आदेश को चुनौती देते हुए चित्तपुर निवासी अशोक पाटिल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद अदालत ने संघ को आंशिक राहत देते हुए 2 नवंबर को मार्च निकालने की अनुमति प्रदान कर दी है।

इस बीच, कर्नाटक सरकार ने शनिवार को एक नया आदेश जारी करते हुए कहा कि किसी भी निजी संगठन, संस्था या समूह को सरकारी संपत्ति या परिसर का उपयोग करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यह आदेश उन घटनाओं की पृष्ठभूमि में आया है जब पंचायती राज एवं आईटी मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर सार्वजनिक स्थानों पर संघ की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की थी।