बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता बी.एस. येदियुरप्पा के खिलाफ दर्ज POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) मामले को रद्द करने से मना कर दिया। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के संज्ञान लेने और समन जारी करने के आदेश को उचित माना, हालांकि व्यक्तिगत पेशी में अस्थायी राहत दी।
न्यायमूर्ति एम.आई. अरुण की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि ट्रायल के दौरान येदियुरप्पा की व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक हुई, तभी उन्हें पेश होने के लिए कहा जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि अगर वे आगे कोई छूट याचिका दायर करते हैं, तो उसे न्यायसंगत तरीके से विचार किया जाएगा। इसके साथ ही येदियुरप्पा को ट्रायल कोर्ट से मामले में डिस्चार्ज की मांग करने की स्वतंत्रता भी दी गई है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला फरवरी 2024 का है, जब एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि येदियुरप्पा ने उसकी 17 वर्षीय बेटी के साथ बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर कथित यौन शोषण किया। शिकायत के आधार पर सदाशिवनगर पुलिस ने 14 मार्च 2024 को मामला दर्ज किया, जिसे बाद में सीआईडी को सौंपा गया। जांच एजेंसी ने पुनः जांच कर चार्जशीट दाखिल की।
येदियुरप्पा की दलीलें
वरिष्ठ अधिवक्ता सी.वी. नागेश ने अदालत में तर्क दिया कि यह मामला राजनीतिक प्रेरित है और शिकायत अविश्वसनीय है। उन्होंने बताया कि पीड़िता और उसकी मां कई बार बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर से मिलीं, लेकिन मार्च तक कोई आरोप नहीं लगाए गए। मौके पर मौजूद गवाहों ने भी किसी अनुचित घटना की पुष्टि नहीं की।
अभियोजन पक्ष की दलील
स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर प्रो. रविवर्मा कुमार ने अदालत को बताया कि ट्रायल कोर्ट ने सभी साक्ष्यों का विस्तार से अध्ययन किया और संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि अदालत का आदेश तर्कसंगत और न्यायिक दृष्टि से उचित है, इसलिए इसे रद्द करने की कोई आवश्यकता नहीं है।