कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने रविवार को संकेत दिया कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की स्थिति में वे मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल रहेंगे। लंबे समय से उठ रही ‘दलित मुख्यमंत्री’ की मांग के बीच उनके इस बयान ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। हालांकि, परमेश्वर ने स्पष्ट किया कि अभी तक कांग्रेस हाईकमान ने नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई आधिकारिक चर्चा नहीं की है और न ही यह मुद्दा विधायक दल (सीएलपी) में सामने आया है।

“मैं हमेशा रेस में हूं”
परमेश्वर ने कहा, “मैं तो हमेशा रेस में रहता हूं, इसमें कुछ नया नहीं है। 2013 में जब मैं प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष था, हमारी मेहनत से सरकार बनी, लेकिन मैंने इसका पूरा श्रेय कभी अपने नाम नहीं किया। उस समय अगर मैं जीत जाता, तो तस्वीर शायद अलग होती।” उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस में पारंपरिक तौर पर पीसीसी अध्यक्ष को मुख्यमंत्री पद मिलने की परंपरा रही है, लेकिन यह हमेशा लागू नहीं होती। “अभी ऐसी कोई स्थिति नहीं बनी है, जब वक्त आएगा, देखा जाएगा।”

दलित मुख्यमंत्री की मांग फिर चर्चा में
परमेश्वर ने दलित मुख्यमंत्री की मांग को पुराना मुद्दा बताते हुए कहा कि हाल में उनके साथ मंत्री एच.सी. महादेवप्पा, सतीश जारकीहोली और अन्य नेताओं की कई बैठकों को लोग संकेत मान रहे हैं।

‘नवंबर क्रांति’ की अटकलें
राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस ने 20 नवंबर को अपने कार्यकाल के ढाई साल पूरे किए। इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि 2023 में सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच किसी ‘पावर-शेयरिंग फॉर्मूले’ के तहत नवंबर में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। इसे कुछ लोग ‘नवंबर क्रांति’ भी कह रहे हैं।

परमेश्वर ने इन अटकलों को मीडिया की रचना बताया और कहा कि अंतिम फैसला एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ही लेंगे, और वह तब ही लागू होगा जब आवश्यकता महसूस होगी।