कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलें फिर तेज हो गई हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को वरुणा क्षेत्र के लोगों से अपील की कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को कम से कम 60 हजार मतों की बढ़त दें, ताकि वह पद पर बने रहें। वहीं, उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने मांड्या में कहा कि जिस इच्छा (मुख्यमंत्री बनने की) के साथ लोगों ने उन्हें ध्यान में रखते हुए पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का समर्थन किया था, अब वह झूठ नहीं निकलेगी।
सिद्धारमैया ने कहा, 2019 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार ध्रुवनारायण महज 1,817 मतों के अंतर से हार गए थे। इस बार विधानसभा चुनाव में आपने (वरुणा सीट से) 48 हजार मतों की बढ़त देकर मुझे जिताया। क्या आप वहीं लीड देंगे या अब और अधिक? (हमारा उम्मीदवार ) कम से कम 60 हजार मतों की बढ़त के साथ (जीतना चाहिए)। उन्होंने कहा, अगर आप कांग्रेस उम्मीदवार को 60 हजार मतों से विजयी बनाते हैं तो मुझे खुशी होगी। कोई मुझे छू नहीं पाएगा। मुझे मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए या नहीं? इसलिए मैं आपसे हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं…मैं जीतने के बाद आपको धन्यवाद देने के लिए वापस आऊंगा। एक जनसभा को संबोधित करते हुए सिद्धारमैया ने कहा, वरुणा में आप मुझे जानते हैं। सही एचसी महादेवप्पा (मंत्री) को भी। मैं आपका प्रतिनिधित्व करता हूं।
मेरा बेटा यतींद्र यहां (वरुणा) से पूर्व विधायक है। जब हम सब हैं तो कम से कम 60 हजार मतों की बढ़त होनी चाहिए। सिद्धारमैया का वरुणा विधानसभा क्षेत्र चामराजनगर लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है, जहां से मंत्री महादेवप्पा के बेटे सुनील बोस कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।इस बीच, मांड्या में मतदाताओं से कांग्रेस का समर्थन करने की अपील करते हुए शिवकुमार ने कहा, मैं आपको बताना चाहता हूं कि मुझे ध्यान में रखते हुए आपने मांड्या जिले में (कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में) अधिक सीटें दीं। आपकी इच्छा झूठी नहीं निकलेगी। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में आठ वोक्कालिगा लोगों को टिकट दिया है। मांड्या वोक्कालिंगा का गढ़ माना जाता है।
शिवकुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद की इच्छा जाहिर करते हुए वोक्कालिगा समुदाय से कहा था कि वह पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में उनके साथ कोई मौका न गंवाएं।पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए टक्कर थी। कांग्रेस शिवकुमार को मनाने में सफल ही थी और उन्हें उप मुख्यमंत्री बना दिया था। उस समय ऐसी खबरें थीं कि रोटेशनल मुख्यमंत्री फॉर्मूले के आधार पर एक समझौता किया गया है। जिसके मुताबिक ढाई साल शिवकुमार मुख्यमंत्री रहेंगे। लेकिन पार्टी की ओर से इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई।