अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के लागू होने के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है। इसी मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हितों के खिलाफ फैसले लिए हैं और यह निर्णय अमेरिकी दबाव में लिया गया है।
केजरीवाल ने कहा कि अमेरिकी कपास पर शुल्क हटाना किसानों के साथ धोखा है। उनके मुताबिक, अमेरिका से आने वाली कपास भारत में सस्ती बिकेगी, जबकि अक्टूबर में जब देशी कपास बाजार में आएगी तब तक टेक्सटाइल उद्योग आयातित माल खरीद चुका होगा। इससे गुजरात, तेलंगाना, पंजाब और विदर्भ जैसे राज्यों के किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह वही क्षेत्र हैं जहां किसानों की आत्महत्या की घटनाएं सबसे अधिक सामने आती हैं।
आप संयोजक ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने ट्रंप सरकार के दबाव में केवल 40 दिनों के लिए कपास पर ड्यूटी हटाई है। उन्होंने कहा कि जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया तो केंद्र सरकार को भी अमेरिकी कपास पर 100 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाना चाहिए था। चीन, कनाडा और यूरोपीय देशों ने अमेरिका के खिलाफ ऐसा ही कदम उठाया था, लेकिन मोदी सरकार ने झुकने का रास्ता अपनाया।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि उद्योग जगत और किसानों के साथ-साथ यह देश की गरिमा से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री बड़े उद्योगपतियों, खासकर अडानी समूह के दबाव में काम कर रहे हैं।
सरकार का निर्णय क्या है?
दरअसल, केंद्र सरकार ने हाल ही में अमेरिका में भारी शुल्क झेल रहे भारतीय कपड़ा निर्यातकों को राहत देने के लिए कपास के शुल्क-मुक्त आयात की अवधि तीन महीने और बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दी है। इससे पहले 18 अगस्त को वित्त मंत्रालय ने 19 अगस्त से 30 सितंबर तक आयातित कपास पर शुल्क छूट की अनुमति दी थी।
इस छूट के तहत 5% बेसिक कस्टम ड्यूटी (बीसीडी) और 5% कृषि अवसंरचना एवं विकास उपकर (एआईडीसी) से राहत दी गई है। साथ ही, इन दोनों पर लगने वाला 10% सामाजिक कल्याण अधिभार भी माफ कर दिया गया है। इसके चलते कुल मिलाकर कपास पर लगभग 11% आयात शुल्क हटाया गया है।