संसद के प्रश्नकाल में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 1997-96 में स्वीकृत अंगमाली-सबरीमाला रेल लाइन प्रोजेक्ट में केरल सहयोग नहीं कर रही है। अगर सरकार भूमि अधिग्रहण में सहयोग करे तो केरल में रेलवे प्रोजेक्ट रफ्तार पकड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक जटिल परियोजना है और इसे पूरा करने के लिए राज्य सरकार के सहयोग की खासी जरूरत है। रेलवे लाइन बिछाने के लिए नए सिरे से प्रस्ताव बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित रेलवे लाइन करीब 111 किमी लंबी है और इससे मंदिर की दूरी 35 किमी है। लोगों ने चेंगन्नूर से पंबा तक एक नई लाइन बिछाने की मांग की थी, जो कि मौजूदा परियोजना से 75 किमी छोटी है। इससे सबरीमाला मंदिर करीब चार किमी है। उन्होंने कहा कि सांसदों को राज्य सरकार से चर्चा करनी चाहिए कि नए प्रस्ताव को लागू किया जाए या पुराने प्रस्ताव पर आगे बढ़ा जाए।
हालांकि रेलवे बोर्ड स्तर पर भी नए प्रस्ताव को लेकर मूल्यांकन चल रहा है। इसके बाद ही परियोजना पर आगे बढ़ने का फैसला लिया जाएगा। कांग्रेस सांसद अदूर प्रकाश के सवाल का जवाब का देते हुए रेलमंत्री वैष्णव ने कहा कि भूमि अधिग्रहण और नए प्रस्ताव को लेकर लोगों के विरोध, अदालत में दायर याचिकाओं और केरल सरकार का समर्थन न मिलने से परियोजना पर काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। परियोजना पूरी करने के लिए राज्य सरकार का सहयोग जरूरी है।
अंगमाली-सबरीमाला रेलवे लाइन को एरुमेली से विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह तक बढ़ाने के सवाल पर वैष्णव ने कहा कि बंदरगाह का एरुमेली से कोई संबंध नहीं है। बंदरगाह के पास नेमोन रेलवे स्टेशन है। उन्होंने यह भी कहा कि केरल में बजट का आवंटन बढ़ गया है, लेकिन भूमि अधिग्रहण न होने से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। केरल में 2014 में 372 करोड़ रुपये बजट का आवंटन किया गया था, जो अब बढ़कर 2033 करोड़ रुपये हो गया है।
जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड के रेल प्रोजेक्ट पर बरसा धन
आम बजट में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के रेल प्रोजेक्ट पर धन वर्षा की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बजट में जम्मू कश्मीर के लिए 3694 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यहां कई सारी रेल परियोजनाओं पर काम चल रहा है। जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। वहीं उत्तराखंड को 5131 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यहां सबसे महत्वपूर्ण कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट है। इसमें 213 किमी लंबी सुरंग बनाई जानी है। इसमें से 171 किमी लंबी सुरंग बन चुकी है। सुरंग बनाने का काम कर रही टनल बोरिंग मशीन के नाम शिव और शक्ति हैं।